छोटी चिड़िया टिटहरी ने समुद्र किनारे की एक झाड़ी में अपने अंडे रखे थे। समुद्र की लहरें उसे बहा कर ले गई। टिटहरी अपने अण्डे समुद्र से वापस माँगने लगी। पर उसने कोई सुनवाई न की।
टिटहरी चुप बैठने वाली न थी उसने चोंच में बालू भर-भर कर समुद्र में डालना शुरू किया ताकि बालू से सूख जाय और उसके अण्डे वापस मिल जांय।
इस असाधारण संकल्प भरे प्रयास को महर्षि अगस्त्य ने दूर से देखा। उनका मन आया कि ऐसे साहसी का सहयोग करना चाहिए।
कहते हैं कि ऋषि अगस्त्य ने समुद्र का जल सोख लिया था और उससे टिटहरी के अण्डे वापस करवाये थे। यह भी कहा जाता है कि समुद्र के क्षमा माँगने पर उसे ऋषि ने पेट से पेशाब के रास्ते बाहर निकाल दिया था। इसी से वह खारी है।