स्वाभिमान की रक्षा (kahani)

April 1993

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झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई बचपन में ही विधवा हो गई थीं। राजकाज उन्हें सँभालना पड़ा। उन्होंने उस क्षेत्र के डाकुओं का हृदय परिवर्तन किया। सभी को उस कुकर्म से छुड़ाया और सेना में अच्छे पदों पर नियुक्त करके देश भक्ति का अवसर दिया।

उन दिनों महिलाओं को घरेलू काम काज के उपयुक्त ही समझा जाता था। राजकाज या सेना में उसका प्रवेश तक ना था रानी ने महिलाओं की एक सशस्त्र सेना खड़ी की जो पुरुषों की तुलना में शौर्य पराक्रम की दृष्टि में किसी प्रकार पीछे न थी।

अँग्रेजी के संरक्षण में राज्य सौंपने की अपेक्षा स्वाभिमान की रक्षा करते हुए उनने मरना अच्छा समझा। लड़ते-लड़ते वे शहीद हुई।


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