अमेरिका की हैरियट स्टी कई बच्चों की माँ थी। घर की आर्थिक स्थिति भी अब दीन थी। सुबह से शाम तक उन्हें काम में जुटा रहना पड़ता था।
इस व्यस्त जीवन में भी वे बच्चों के सो जाने के बाद चुपके से उठतीं और उस पुस्तक को लिखने में लग जाती। जिसे पूरी करने की उनके मन में भारी उत्कंठा थी।
उन दिनों अफ्रीका में नीग्रो लोगों को पकड़कर लाया जाता था उन्हें पशुओं की तरह खरीदा, बेचा और वैसा ही कड़ा काम लिया जाता था। स्टी के मन में इसी क्रूर प्रथा के प्रति आग जल रही थी, वे इस प्रचलन के विरुद्ध विद्रोह खड़ा करना चाहती थी।
पुस्तक इसी प्रयोजन के लिए लिखी जा रही थी। पुस्तक पूरी हुई और छपकर बाजार में आई तो जन-जन ने उसे बड़े गौर के साथ पढ़ा। भावनाएँ उमड़ीं। पीड़ितों के प्रति सहानुभूति उत्पन्न हुई और उस व्यवसाय में लगे वर्ग के प्रति विद्रोह खड़ा हो गया। कुछ समय के संघर्ष के बाद उस देश में कानून बना और दास प्रथा से लाखों को छुटकारा मिला।