युवक तार्किक था। सन्त ने ईश्वर के पक्ष में अनेक प्रमाण दिये, किन्तु वह मानने के लिए तैयार न था। युवक ने कहा -स्वामी जी विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली है कि ईश्वर यदि हृदय की गुफा में भी होता, तो भी डॉक्टरों का हार्ट ऑपरेशन के समय मिल गया होता।
स्वामीजी को युवक की स्थूल दृष्टि समझते देर न लगी। उन्होंने युवक को इस तरह समझाया जिस तरह फूल की गंध आँख से नहीं। घ्राण से मालूम देती है, और संगीत का रस आँख से नहीं, कान से अनुभव होता है। दूध के अन्दर का मक्खन मथने से प्रकट होता है, उसी प्रकार कण-कण में व्याप्त ईश्वर करुणा और सेवा के दो नेत्रों से ही देखा जा सकता है।