परिष्कृत अन्तराल विभूतियों का भाण्डागार

July 1990

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प्राणियों को उनकी आवश्यकतानुसार प्रकृति ने भविष्यज्ञान की क्षमता प्रदान की है। शीतऋतु में मक्खी, मच्छर जैसे प्राणी कहीं सुरक्षित स्थान में छिप कर अपने प्राण बचाते हैं, पर जैसे ही उनके फलने-फूलने का अवसर आता है प्रजनन कृत्य में लगते और असाधारण रूप से वंश वृद्धि करते देखे गये हैं। हिम प्रदेशों में रहने वाले सफेद भालू जैसे प्राणी घोर शीत के दिनों आहार उपलब्ध न होने की कठिनाई को ध्यान में रखते हुए किसी गुफा में लम्बे समय के लिए निद्राग्रस्त हो जाते हैं। मेढ़क और साँप भी प्रायः ऐसा ही करते हैं। सर्दी के दिनों वे किसी बिल में इस प्रकार शिथिलता धारण करते हैं कि उन दिनों उन्हें भोजन की आवश्यकता ही न पड़े। धरती में गहराई में छिपे पड़े रहने पर भी अनुकूल मौसम का भविष्यज्ञान उन्हें हो जाता है और वे उपयुक्त समय में बाहर निकल आते हैं।

पक्षियों में से अनेकों ऐसे हैं जो ऋतु प्रतिकूलता का आभास होते ही अनुकूल क्षेत्रों में जा पहुँचने के लिए लम्बी उड़ाने भरते हैं। समय काटते हैं और जब अनुकूलता उत्पन्न होती है, तो फिर अपने पूर्व निवास पर लौट आते हैं यह सब भविष्य ज्ञान की पूर्वानुभूति के आधार पर संभव होता है। ऋतुओं के अनुरूप मकड़ी अपना ताना फैलाती और समेटती देखी गई है। उपयुक्त ऋतु का ध्यान रखते हुए भी प्राणिवर्ग में उत्साह उभरता है, पर प्रतिकूलता का अनुमान रहने पर वे सर्वथा शान्त बने रहते हैं। कितने ही प्राणी भूकम्प, तूफान, महामारी जैसे प्रकोपों की समय से पहले ही जानकारी प्राप्त कर लेते है, अपने-अपने समुदाय को चिल्ला-चिल्ला कर सचेत करते हैं और कहीं अन्यत्र सुरक्षित स्थान के लिए पलायन कर जाते हैं।

मनुष्यों में भी कितनों में ही ऐसी अतीन्द्रिय क्षमताएँ पाई जाती है जिसके आधार पर वे अपने या दूसरों के संबंध में किन्हीं विशेष परिवर्तनों का आभास पा सकें और उस निमित्त पूर्व तैयारी कर सकें। ऐसी कितनी ही घटनाएँ घटित होती रहती हैं जिसमें मृत्यु का आभास समय से पहले ही मिल जाता है। कितनों को ही स्वयं के भावी घटनाक्रम की जानकारी मिल जाती है और वे समय पर सही भी उतरती हैं, कई वैज्ञानिकों को भी अपने आविष्कारों संबंधी गुत्थियाँ हल करने में स्वप्न संकेतों के आधार पर सहायता मिली है। अतीन्द्रिय क्षमताओं के अभ्यासी अनेक बार ऐसी अद्भुत जानकारी देते हैं जैसा कि घटित होने की उन दिनों आशंका तक न थी।

फ्राँस के प्रख्यात साहित्यकार जैककजोट को अपने देश में होने वाली महाक्रान्ति का आभास बहुत पहले हो गया था और पेरिस नगर में आयोजित एक समारोह में उसकी उन्होंने सार्वजनिक घोषणा भी कर दी थी। उक्त समारोह में देश के प्रायः सभी मूर्धन्य दार्शनिक, वैज्ञानिक, मनीषी, साहित्यकार, पत्रकार एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। उनमें उस काल के बहुमुखी प्रतिभा के धनी विख्यात दार्शनिक एवं संगीतकार मारकस, नाटककार निकोलस, नाटककार एवं आलोचक जॉनहॉर्पी भी सम्मिलित थे। जैक ने यह कह कर सभा में उत्तेजना पैदा कर दी थी कि यहाँ एकत्र सभी लोग सन्निकट खूनी क्रान्ति में मारे जायेंगे। फ्राँसीसी क्रान्ति के नायक मारकस के बारे में उनने भविष्यवाणी की थी कि उन्हें बंदी बना लिया जायगा और फाँसी की सजा सुनायी जायगी किन्तु उससे पूर्व ही वह जहर खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेंगे। इतिहासवेत्ता जानते हैं कि मारकस, को जो उस समय क्रान्तिकारियों के सर्वोच्च कमेटी के सदस्य भी थे, और साथियों की दमनकारी नीति का विरोध करते थे, उन्हें जेल में डाल दिया गया। फाँसी की तिथि निश्चित हो चुक थी, किन्तु उससे पूर्व ही उनने विष खाकर आत्महत्या कर ली।

सुप्रसिद्ध नाटककार निकोलस की ओर देखते हुए जैक ने कहा था-’मरने से पूर्व वह बाईस बार ब्लेड से अपनी नाड़ियाँ काट कर मरने का प्रयास करेगा, किन्तु इसमें सफल नहीं होगा। हुआ भी ऐसी ही सन् 1973 में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। कैदी जीवन में उसने आत्महत्या करने की इच्छा से 22 बार प्रयत्न का पर हर बार असफलता ही हाथ लगी। बाद में उसकी स्वाभाविक मृत्यु हुई।

इसी तरह ख्याति प्राप्त नाटककार एवं आलोचक हार्पी के बारे में किया गया भविष्य कथन अक्षरतः सही सिद्ध हुआ। उसके बारे में कहा गया था कि वह नास्तिक से आस्तिक बन जायेगा। जेल की कोठरी में बंद रहने पर एकांतिक जीवन अंतर्मुखी बन गया। आत्मचिंतन करते रहने के कारण जब वह कैद से छूटे तो सच्चे आस्तिक एवं कैथोलिक मत के अनुयायी बन कर निकले। उनके जीवन में कायाकल्प स्तर का परिवर्तन हो गया था। जैक को न केवल दूसरों के भविष्य में झाँकने की अतीन्द्रिय सामर्थ्य प्राप्त थे वरन् अपने बारे में भी उनने स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें कई बार जेल की यात्रा करनी पड़ेगी और अंत में मृत्यु दंड दे दिया जायेगा। सभी घटनाएँ समयानुसार घटित होकर रहीं।

पीटरहरकौस का नाम मूर्धन्य भविष्य वक्ताओं में लिया जाता है। उनकी अतीन्द्रिय क्षमता का विकास एक दुर्घटना में हुआ जिसमें सीढ़ी से गिर जाने के कारण सिर में गंभीर चोट लग गई थी। दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल गया और दिव्य दर्शन की क्षमता का नया आयाम लेकर सामने आया। अपराधियों, हत्यारों की तलाश करने में एवं खोये हुये व्यक्तियों की जटिल गुत्थियों को सुलझाने में पुलिस भी उनकी मदद लेती थी। अपने जीवन में उनने जितनी भी भविष्यवाणियाँ को थी, समयानुसार सभी सच निकलीं।

मानवी अन्तराल में एक से बढ़ कर एक अद्भुत क्षमताएँ विद्यमान हैं जिन्हें अभ्यास द्वारा हर कोई विकसित कर सकता है। दूर श्रवण, दूरानुभूति, दूरदर्शन, पूर्वाभास, भविष्य कथन जैसी अगणित क्षमताएँ प्रसुप्त स्थिति में दबी पड़ी हैं और कभी कभी किन्हीं व्यक्तियों में किसी कारणवश उभर भी आती हैं, पर कितने ही व्यक्ति इन्हें सतत् अभ्यास द्वारा विकसित कर लेते हैं। न्यूजर्सी की परामनोविज्ञानी श्रीमती डोरोथीएलीसन एक ऐसी ही महिला हैं जिन्होंने भविष्य के गर्भ में झाँकने की सामर्थ्य विकसित कर ली है। इसके माध्यम से उनने अब तक कितनी ही जटिल गुत्थियों को सुलझाया है। खोये हुए व्यक्तियों, हत्याओं एवं अपराधों के रहस्य खोले हैं। न्यूयार्क के प्रसिद्ध परामनोवेत्ता रिचर्डरिचनर ने डोरोथी की अतीन्द्रिय क्षमता को जाँचा परखा है और सही पाया है। एक दिन तो वह स्वयं यह जानकर आश्चर्यचकित रह गये कि उनके कमरे में बैठा व्यक्ति आत्महत्या करने की सोच रहा है। यह रहस्योद्घाटन भी डोरोधी ने ही किया था और बताया कि यदि उस व्यक्ति को बचाया जा सके तो एक दृढ़ मनोबल वाला सफल व्यक्ति होगा। पूछताछ करने पर बात सही निकली। उपचार हो जाने के बाद में वह एक सफल उद्योगपति बन कर रहा।

इसी तरह इंग्लैण्ड की सुजेन पेडफील्ड, न्यूयार्क की एस्टेला राबट्स एवं डर्बन-दक्षिण अफ्रीका के नेल्सन पामर ने भी अभ्यास द्वारा अतीन्द्रिय सामर्थ्य विकसित कर ली हैं। ये सभी व्यक्ति किसी वस्तु को देखकर ही उसके प्रयोक्ता के सम्बन्ध में सारे रहस्य उद्घाटित कर देते हैं। खोये हुए व्यक्तियों एवं छिपे हुए अपराधियों को, जिसका पता लगाने में प्रशिक्षित पुलिस भी असमर्थ रहती है, उनकी दूरदर्शी आँखें खोज निकालती हैं। सुप्रसिद्ध परामनोविज्ञानी जोसेफ बुकनन ने अपनी कृति में इस तरह की अनेकों घटनाओं का वर्णन किया है जिसमें दिव्यदर्शियों की सहायता ली गई और सफलता मिली।

दिव्य दर्शन की एक घटना महात्मागाँधी की अन्यतम सहयोगिनी रेहाना ब्याबजी के जीवन से सम्बन्धित है। गाँधी जी उन दिनों पूना के आगारवान महल में कैद थे और रेहाना नासिक में रहकर इनकी गतिविधियों का संचालन कर रही थी। गाँधी जी के साथ जेल में कब कैसा व्यवहार हो रहा है? महाभारत कालीन संजय की तरह प्रत्येक घटनाक्रम का वे बारीकी से नासिक में रहकर ही अनुभूति करती और उसे अपनी डायरी में अंकित करती रहती। जेल से छूटने के पश्चात् जब इसे बा और बापू को दिखाया गया तो उन्होंने सभी घटनाक्रमों को सही ठहराया। सुविख्यात अमेरिकी खगोलविज्ञानी डॉ. जॉर्ज डाडवेल के बारे में प्रसिद्ध है कि बिना किसी दूरदर्शी उपकरण के ही उनकी आँखें सुदूर आकाश में स्थिति सौर मण्डल के सदस्यों-ग्रह-नक्षत्रों, धूमकेतुओं आदि में हो रहे परिवर्तनों की स्पष्ट झाँकी प्राप्त कर लेती थी।

वस्तुतः मनुष्य की चेतना में असीम एवं अप्रत्याशित क्षमता विद्यमान है। यदि उसे परिष्कृत एवं विकसित किया जा सके तो न केवल भविष्य कथन जैसी अतीन्द्रिय सामर्थ्यों का वरन् भौतिक सिद्धियों एवं आत्मिक ऋद्धियों का भी स्वामी बना जा सकता है। आवश्यकता मात्र अन्तःकरण को पवित्र एवं व्यवहार में उतारने भर की है। उच्चस्तरीय चेतनात्मक विभूतियाँ तभी हस्तगत होती हैं


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