जीभ से निकले शब्द कानों से टकरा कर बिखर जाते हैं, पर हृदय की वाणी कलेजे में घुस बैठती है और फिर उखड़ने का नाम नहीं लेती।
हृदय गूँगा हो सकता है, पर आकाश बहरा होने की कल्पना नहीं की जा सकती।