बीता कल अहंकार में भरा हुआ था और अपनी कृतियों का बढ़-चढ़कर बखान कर रहा था।
इतने में भविष्य भी आ पहुँचा और अपनी सम्भावनाओं की भयंकरता और सुसम्भावनाओं से भरे-पूरे होने की बातें बढ़कर करने लगा।
महाकाल ने भूत से पूछा, ‘जो तुमने किया उसका समय बताओ?’ साथ ही उसने भविष्य से कहा- ‘तुम जो कुछ करने वाले हो वह कब करोगे? यह तो बताओ?’
आज चुप बैठा था। बारी आने पर उसने मुँह खोला और कहा यह दोनों ही अपना पौरुष तभी दिखा पायें या दिखा पायेंगे जब वर्तमान की स्थिति में होंगे।
आज की महत्ता समझी गई और उसे भूत और भविष्य ने झुककर प्रणाम किया।