कबीर हँसकर बोले (kahani)

May 1986

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कबीर अपने दरवाजे पर बैठे ग्रामवासियों को उपदेश दे रहे थे। तभी एक युवक ने पूछा- ‘महाराज! यह तो बताइये कि विवाह करना ठीक होता है या नहीं?’ कबीर एक क्षण चुप रहे फिर अपनी पत्नी को आवाज देकर बुलाया और कहा- ‘देख यहाँ बड़ा अन्धकार फैला है दीपक तो जलाकर ले आ।’ धर्मपत्नी घर गई और दीपक जलाकर ले आई। युवक हँसकर बोला- ‘महाराज! आप तो विलक्षण हैं ही, आपकी पत्नी भी खूब हैं। आप दिन तो रात बताते हैं तो पत्नी ने दीपक लाकर आपकी बात का समर्थन भी कर दिया। क्या खूब नाटक रहा।

कबीर हँसकर बोले- नाटक नहीं, तुम्हारे प्रश्न का उत्तर। यदि युवक युवती एक दूसरे पर इतना प्रगाढ़ विश्वास रख सकें तो ही उन्हें विवाह करना चाहिए।


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