हमारी अपनी कल्पनाएँ दुष्ट और भ्रष्ट भी हो सकती हैं, आकाँक्षाएँ निकृष्ट भी हो सकती हैं। पराक्रम से किसी हद तक उसे कार्यान्वित भी किया जा सकता है, पर अन्ततः उनका बुरा परिणाम होना निश्चित है। कुकर्म नरक की कीचड़ में ही घसीट ले जाते हैं। स्वर्ग में अवस्थिति कल्पवृक्ष का लाभ उन्हें ही मिलता है, जिनका लक्ष्य-प्रयोजन उच्चस्तरीय हो, जो ऊंचा सोचे और आदर्शों को अपनाये।