Quotation

May 1986

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

दिवास्वप्न न देखो। बिना पंख उड़ानें न भरो। वह करो जो आज की परिस्थितियों में किया जा सकता है।

अनुचित लाभ तत्काल तो बहुत प्रिय लगते हैं। किन्तु पीछे असीम त्रास देते हुए विदा होते हैं।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles