मूर्ख निकले, जो समझदार बनते थे

May 1986

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समझदार समझे जाने वालों में से कई परीक्षा की कसौटी के समय बेवकूफ सिद्ध होते हैं और कितने ही ऐसे होते हैं जो समझे तो बेवकूफ जाते हैं, पर अवसर आने पर अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हैं। यह नहीं समझा जाना चाहिए कि जिन्हें लोग प्रतिभावान समझते हैं, वे भाग्यवान ही होते हैं। उथली परख से वस्तुस्थिति का पता चलना कठिन है।

जो समझदार समझे जाते थे, पर समय आने पर बेअक्ल सिद्ध हुए। ऐसी कुछ बहुचर्चित घटनाएं इस प्रकार हैं।

चित्रकार कोरिगियो को एक चित्र के बदले 50 पौण्ड तांबे की मुद्राएं मिलीं। उन्हें वाहन पर लादने के स्थान पर पीठ पर लाद कर लम्बा सफर पार करते हुए वह घर पहुंचा और बोझे की थकान से चूर होकर इस प्रकार बीमार पड़ा कि फिर उठ ही न सका।

वन्य जगत का एक उदाहरण है कि एशियानी जंगली बकरी जब जाल में फंसाई जाती है तो डर के मारे बेहोश हो जाती है और हिलती-डुलती तक नहीं। ऐसी ही स्थिति बहुधा मनुष्यों की होती है। उनकी जिन्हें समझदार समझा जाता है।

उच्च चित्रकार पीटर पीटुमन ने एक अपनी चित्रशाला में एक नर कंकाल का चित्र बनाया। 18 सितम्बर 1672 को एक अंधेरी रात में भूकम्प आया और कंकाल चित्र सारे कमरे में नाचने लगा। पीटर ने उसे सचमुच का प्रेत समझा और डर के मारे उसी डरावने वातावरण में दम तोड़ दिया। उसे अपने बनाये चित्र की बात भय के विभ्रम में याद ही नहीं रही।

उत्तरी स्वीडन में पिटिया नामक एक नगर है। जिसमें करीब 500 अच्छे खासे मकान और हाट बाजार है, पर वहां के सभी लोग उसे भुतहा गांव समझकर अन्यत्र चले गये हैं। जब पादरी लोग स्थानीय गिरजे की सफाई करने तथा प्रार्थना करने वर्ष में एक बार आते हैं तभी कुछ चहल-पहल होती है अन्यथा सभी घरों में ताले पड़े रहते हैं।

आस्ट्रियाई अभिनेता फरार्डेनेन्ड को एक छोटे पालतू पिल्ले ने काट खाया। पर वह इतने भर से अत्यधिक आतंकित हुआ और अपनी पिस्तौल सीने में मारकर उसने आत्महत्या कर ली।

बादशाह हुमायू को पानी में डूबने से बचाने के इनाम में उसके भिश्ती ने 6 घण्टे को सल्तनत मांगी। और इतनी ही देर में उसने अपना चमड़े का सिक्का चलवा दिया। भिश्ती का नाम निजाम था। वह 1555 में 6 घण्टे का बादशाह बना था।

वह चाहता तो इन छह घण्टों में राज्य कोष मांग सकता था और जिन्दगी भर मौज में रह सकता था।

टियानी रियान अपने को बड़ा समर्थ मानता था, पर सन् 1814 में उसके गले में एक मधुमक्खी फंस गयी और प्राण घातक बन गयी।

उसकी कब्र पर लिखा गया “बलवान टिमागी रियान जो एक मक्खी का भी मुकाबला न कर सका।”

फ्रांस का हेनरी डी गाइट- अपनी प्रेमिका गॉनेय को हर महीने एक प्रेम पत्र अपने रक्त से लिखकर भेजता रहा कि वह उसी से विवाह करेगा। किन्तु जब वह विवाह करने के लिए परिवार की ओर से स्वतन्त्र हुआ तो प्रेम पत्रों को भुला कर अधिक सुन्दर लड़की से विवाह कर लिया। उसके प्रेम पत्र मखौल बनकर ही रह गये।


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