उन दिनों अल्जीरिया को फ्राँस ने अपना गुलाम बना लिया था। साथ ही स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए उनका संघर्ष कम नहीं हुआ था।
फ्राँस के प्रख्यात लेखक “सार्त्र” अल्जीरिया को स्वतंत्र बनाने के पक्ष में बराबर अपनी लौल लेखनी चला रहे थे। यहाँ तक कि उनने फ्राँस के सैनिकों तक अनीति के पक्ष में न लड़ने के लिए भड़काया था। जनता पूरी तरह उनके साथ थी।
फ्राँसीसी सरकार ने सार्त्र को दबाने के लिए सभी उपाय किये। उनके घर पर बम फेंके गये। पर वे बच गये। अन्त में दरबारियों ने शासक चार्ल्स डी जाल को सलाह दी कि उन्हें पकड़कर काल-कोठरी में बन्द कर दिया जाये।
डी जाल बहुत देर विचार करते रहे और फिर गम्भीर मुद्रा में बोले ‘सार्त्र” एक व्यक्ति नहीं है। उसके साथ समूचा फ्राँस है। ऐसे व्यक्ति को कोठरी में कैद नहीं किया जा सकता।