शान्तनु ने स्वप्न देखा (kahani)

March 1986

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शान्तनु ने स्वप्न देखा कि राज लक्ष्मी महल से विदा हो रही है। इसके बाद दान भी चल दिया। दोनों को जाते देखकर राजा को वैभव और यश में कमी पड़ने की आशंका हुई।

इसके बाद सदाचार जाने लगा। राजा ने उसे हाथ पकड़कर रोक लिया और कहा आपको किसी भी मूल्य पर नहीं जाने दिया जायेगा।

सदाचार रुक जाने के बाद लक्ष्मी भी लौट आई और दान भी। राजा ने वैभव और यश का मूल्य समझ लिया।


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