वैराग्य का नशा (kahani)

March 1986

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

शैतान पर एक बार वैराग्य का नशा चढ़ा। उसने अपने सारे बहुमूल्य साधन लोगों को लुटा दिया। पर एक छोटी डिबिया छिपाकर रख ली। उसे भय था कि वैराग्य न सधा और फिर विग्रह फैलाने का मन हुआ तो उसके लिए एक वेश कीमती चीज हाथ में रखनी चाहिए।

डिबिया में रखी चीज थी ‘आलस’ जहाँ आलस होता है वहाँ और भी अनेक दोष अपने आप आ जाते हैं।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles