तत्वदर्शन हमें हमारे स्वरूप से परिचित कराता है और कर्तव्य की रहा पर प्रेरणापूर्वक चलाता है।
जो जन्म-जन्मान्तरों की संचित पशु-प्रवृत्तियों का नियमन कर सकता है वह योगी है।