मथुरा जिले के राजा महेन्द्र प्रताप के कोई सन्तान न थी। उत्तराधिकार के लिए लोग कोई पुत्र गोद लेने या दूसरा विवाह करने का आग्रह करते रहे। उनने किसी की न मानी। उन्होंने अपनी जमींदारी के 100 गाँव प्रेम महाविद्यालय को दान कर दिए। वृन्दावन में स्थापित इस विद्यालय में लोकसेवी उत्पन्न करने का काम चला। उच्चस्तरीय अध्यापक रखे गये। इस विद्यालय के छात्रों ने स्वतंत्रता संग्राम में असाधारण भूमिका निभाई। राजा साहब थोड़ी-सी आजीविका बचाकर उससे अपना गुजारा करते रहे।