ब्रह्माजी के पास पहुँचा (kahani)

March 1986

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मनुष्य ब्रह्माजी के पास पहुँचा और उन्नति एवं सुख -शांति का वरदान माँगा।

ब्रह्मा जी ने उपहार स्वरूप उसे दो भरे हुए थैले दिये। एक को पीठ पर बाँध दिया और दूसरे को गले में लटका दिया। मनुष्य ने आश्चर्यचकित होकर इन थैलों का रहस्य और उपयोग पूछा। ब्रह्मा जी ने कहा- पीछे वाले थैले में पड़ौसियों की बुराइयाँ भरी हुई हैं इन्हें पीछे करना इन्हें देखना मत अन्यथा तुम्हें अकारण क्षोभ होगा और प्रगति के लिए जो करना चाहिए वह न करके उस क्षोभ में उलझ जाओगे।

गले में लटके हुए थैले का रहस्य बताते हुए उन्होंने कहा- इसमें तुम्हारी बुराइयाँ भरी हुई है। आँखों के सामने इसे रखना। बार-बार देखना और उन्हें सुधारने के प्रयत्न में लगे रहना।

इन दोनों थैलों का यदि तुम ठीक उपयोग कर सके तो निश्चय ही तुम्हें सुख-शांति मिलेगी।


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