अन्य आदर्शवादियों की तरह साम्यवाद के जन्मदाता कार्लमार्क्स को भी गरीबी और कठिनाई के बीच दिन गुजारने पड़े। उनकी पुत्री दवा के लिए पैसा न होने के कारण बेमौत मर गई।
जब कर्जा भी न मिला तो उनकी पत्नी ने पुराने कपड़े खरीदकर उनमें से छोटे कपड़े निकालने और गली-गली घूमकर बेचने का धन्धा किया और पति को अपने महान कार्य में संलग्न रहने में कुछ व्यवधान न पड़ने दिया।