सद्वाक्य

January 1986

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“अन्य व्यक्ति को मारने के लिए तलवार, ढाल आदि शस्त्रों की आवश्यकता पड़ती है; पर अपने को मारना हो तो एक नहन्नी (नाखून काटने वाली) ही काफी होती है। इसी प्रकार जनसमाज को उपदेश देने के लिए मनुष्य को अनेक शास्त्रों के अभ्यास की आवश्यकता पड़ती है; पर यदि स्वयं धर्म प्राप्त करना हो तो केवल एक ही धर्म-वाक्य के ऊपर विश्वास रखकर वैसा किया जा सकता है।”


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