सद्वाक्य

January 1986

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“चकमक पत्थर चाहे सौ वर्ष तक जल में पड़ा रहे तो भी उसकी अग्नि नष्ट नहीं होती। उसे जल से निकालकर लोहे पर मारते ही चिनगारी निकलने लगती है। इसी प्रकार ईश्वर पर विश्वास रखने वाले व्यक्ति चाहे हजारों अपवित्र— संसारी लोगों के बीच में पड़े रहें तो भी उनकी श्रद्धा और भक्ति बनी रहेगी।”


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