Quotation

October 1985

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

मैं धुंधले तौर पर यह अनुभव करता हूँ कि जब मेरे चारों ओर सब कुछ बदल रहा है, मर रहा है, तब भी इन सब परिवर्तनों के नीचे एक जीवित शक्ति है जो कभी नहीं बदलती, जो सबको एक में ग्रथित करके रखती है, उसका संहार करती है और फिर नये सिरे से पैदा करती है, यही शक्ति ईश्वर है, परमात्मा है। मैं मानता हूँ कि ईश्वर जीवन है, सत्य है, प्रकाश है, प्रेम है, वह परम मंगल है।

-महात्मा गाँधी


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles