उन दिनों अपहरण और बलात्कार का माहौल था। नारी का सम्मान उठाकर ताक पर रख दिया गया था। शासक वर्ग के लोग किसी की बहिन बेटी की बेइज्जत करते रहते थे। उसका रोष और प्रतिशोध भी हिन्दु समाज में छाया था।
उन दिनों किसी आतंकवादी शासक परिवार की एक सुन्दरी सैनिकों के हाथ पड़ गई। लाकर सम्राट शिवाजी के सम्मुख प्रस्तुत की गई कि उसे रनिवास मैं डाल लें।
शिवाजी ने उसे देखा और रूप की सराहना करते हुए कहा- ‘‘मेरी माता यदि इतनी ही सुन्दर होती तो मैं भी वैसा ही रहा होता।” युवती के कृतज्ञता व्यक्त करने पर शिवाजी ने कहा- ‘‘मैंने कुछ नहीं किया, पुरुषों की अनीति का प्रायश्चित करने का प्रयास मात्र किया है।” उस युवती को शिवाजी ने आदर पूर्वक उसके घर वापस पहुँचा देने की तत्काल व्यवस्था कर दी।
शिवाजी की चरित्र निष्ठा से प्रभावित दुर्गा ने उन्हें अमोघ तलवार ‘भवानी’ प्रदान की थी।