शरीर यों सभी के देखने में एक जैसे प्रतीत होते हैं, पर उनमें ऐसी विलक्षण विशेषता देखी जाती है कि आश्चर्यचकित रह जाता है। हिमालय की गुफाओं में ऐसा सन्त पाये गये हैं जिन्हें उस क्षेत्र में खाने योग्य कोई वस्तु भी नहीं मिलती थी और वे अपना नियत स्थान छोड़कर कहीं जाते भी नहीं थे। वायु में रहने वाले पोषक तत्वों से ही वे अपने लिए काम चलाऊ आहार उपलब्ध कर लेते हैं।
आहार की तरह ही नींद का स्थान भी है। सोये बिना न तो थकान दूर होती है और न मस्तिष्क को विश्राम मिलता है। बहुत दिन जागते रहने पर मनुष्य पागल हो जाता है। इसी बात को यों भी कह सकते हैं कि पागल होने से पूर्व नींद आना बन्द हो जाती है।
किन्तु कभी-कभी इसके भी अपवाद पाये जाते हैं। जकार्ता से उत्तर पूर्व में एक द्वीप है- बाली। उसके अलासंकार कस्बे में एक व्यक्ति है ‘केतूल’ वह पिछले 40 साल से क्षण भर के लिए भी नहीं सोया।
द्वितीय महायुद्ध के समय उसने अपनी आँखों ऐसे दृश्य देखे थे जिनसे उसका कलेजा काँप गया। तब वह छोटा बालक ही था। उस घटना का उसके मन पर ऐसा घातक प्रभाव पड़ा कि उसे नींद आना बिलकुल बन्द हो गई। कुछ दिन तो उसे थकान रही किन्तु पीछे शरीर और मस्तिष्क ने अपने को ऐसे ढाँचे में ढाल लिया कि नींद की आवश्यकता शरीर दूसरी किसी विशेष प्रणाली से पूरी करने लगा। जकार्ता पोस्ट नामक पत्र के अनुसार दूर-दूर के मनःशास्त्री इस रहस्य को खोजने के लिए वहाँ पहुँचे हैं, पर अभी तक उस रहस्य का उद्घाटन नहीं हो सका है।
हारमोनों की न्यूनाधिकता में तनिक-सा अन्तर आ जाने से मनुष्य बहुत भी लम्बा हो सकता है और बहुत ठिगना भी रह सकता है।
चीन में एक व्यक्ति सुनीगंज की लम्बाई 7 फुट 9।। इंच थी। बाजार में इतना बड़ा ताबूत न मिला तो उसके पैर सिकोड़ कर सन्दूक में रखना और दफनाना पड़ा।
इसी प्रकार स्काटलैण्ड में एक बौना आदमी मात्र ढाई फुट का था। वह बौद्धिक दृष्टि से बौना नहीं था। समझदारी की बातें कहता और समझदारों जैसे काम करता था वह 30 वर्ष जीवित रहा।
ईराक के एक नागरिक सलमाआवोदीन ने आठ साल में अपने रक्त की 435 वीं बोतल दान देकर रक्त दान का नया विश्व रिकार्ड कायम किया है। उसका स्वास्थ्य इन वर्षों में यथावत् बना हुआ है उसको कोई क्षति नहीं पहुंची है।
अभ्यास करने से मनुष्य अपनी कार्य क्षमता असाधारण रूप से बढ़ा सकता है। अपंगों के इतिहास में ऐसे अनेकों हुए हैं जिनने दोनों हाथ चले जाने पर पैर नेत्र और मुँह की सहायता से उच्च शिक्षा प्राप्त की और चित्रकला तथा टाइप राइटिंग जैसे कार्यों में सामान्य लोगों की तरह काम कर सके।
योगाभ्यास के आधार पर कई व्यक्ति अपने हृदय की धड़कन और श्वास-प्रश्वास क्रिया बन्द करके समाधिस्थ हो जाते हैं। देखने में वे मृतक जैसी स्थिति में होते हैं, पर इच्छित समय पर समाधि में लगकर फिर अपने अवयवों को जीवित मनुष्यों की तरह सक्रिय बना लेते हैं।
अतीन्द्रिय क्षमताओं के ज्ञान में जैसे-जैसे अभिवृद्धि होती जाती है। उसी आधार पर ऐसे प्रमाण मिल रहे हैं कि एक ही शरीर में दो या इससे भी अधिक व्यक्तित्व निवास कर सकते हैं। कभी-कभी एक जीवित और दूसरा मृतात्मा होता है। कभी-कभी छाया पुरुष जैसे दो व्यक्तित्व एक ही शरीर में निवास करते पाये गये हैं। उससे भी अधिक आत्माओं के एक ही शरीर में रहने की कुछ घटनाएँ देखी गई हैं।