बंगाल के न्यायाधीश नीलम वंद्योपाध्याय ने एक बीमा एजेण्ट के फुसलाने पर पाँच हजार का बीमा करा लिया। मधुमेह के बीमार होते हुये भी स्वास्थ्य विवरण में उस बात को छिपा दिया गया।
लम्बी बीमारी के बाद जब वंद्योपाध्याय महोदय का अन्तकाल निकट आया, तो उनने बीमा एजेण्ट को बुलाकर उसे बेईमानी का इकरार नामा लिखा और बीमे को रद्द करा दिया। बोले- ‘‘जीवन भर बुराइयों से बचता रहा, तो मरते समय यह पाप सिर पर लादकर क्यों मरूं।’’