कहते हैं कि पहली बार और प्रथम सन्तान बड़ी प्रतिभाशाली और वीरता पूर्ण कार्य करने वाली होती है। इसके प्रतिपादनों से इतिहास के पन्ने भरे पड़े हैं और अनेकों उदाहरण हमारे समक्ष हैं।
मुहम्मद अली, संसार का सर्वश्रेष्ठ हैवीवेट और बाक्सिंग में चैम्पियन हुआ, क्योंकि वह अपने माता-पिता से प्रथम जन्म लेने वाला बालक था। नादिया कामन्सी नाम की महिला विश्व प्रसिद्ध हुई और अनुपम कला की प्राप्ति की। धन के क्षेत्र में एक ऐसा व्यक्ति जिसने स्वयं श्रम किया, अपनी सूझ-बूझ से करोड़पति बना। और बीसवीं शताब्दी का सबसे बड़ा विद्रोही पेन्टर जिसका नाम ‘पापलोपिकासो’ था उसने भी विश्व में ख्याति प्राप्त की तथा भारत की जानी पहचानी महिला जो राजनीति और शासन में विश्व के मूर्धन्यों में गिनी जाती है उनका नाम इन्दिरागाँधी है इन उदाहरणों के अन्तराल में केवल एक ही प्रामाणिकता मिलती है कि वे सभी अपने माँ-बाप की प्रथम सन्तानें थीं।
इस सम्बन्ध में कुछ वर्ष पूर्व श्री विलियम आल्थस ने बड़ा गहन अध्ययन किया, कि बच्चों के जन्म, उनका वातावरण और माता-पिता की अभिरुचियाँ कैसी रहीं और प्रथम बार जन्म लेने पर उनका क्या प्रभाव पड़ता है।
उनका कहना है कि पैतृक गुण और संस्कारवान वातावरण इन पर बहुत प्रभाव डालता है। माता-पिता का जैसा भाव और जीवनचर्या होती है वह बालक में परिलक्षित होती है। जैसी इंदिरागांधी का जन्म एक बहुत सभ्य और बहुत अच्छे वातावरण में हुआ। उनके पिता विद्वान थे अतः इस सबका प्रभाव उनके जीवन पर पड़ा।
‘आलफ्रेड एडलर’ एक मनोवैज्ञानिक थे। 1964 में उन्होंने एक टैस्ट आई क्यू के आधार पर किया। यू.एस.ए. राष्ट्रीय प्रतिभा छात्रवृत्ति की ओर से एक परीक्षा हुई जिसमें बहुत से लोग परीक्षा में बैठे पर 66% बालक उन परिवारों के थे जो अपने माता-पिता की पहली सन्तानें थीं। 52% और 59% प्रतिशत में वे परिवार वे सन्तानें आती हैं जिनके दो-दो और तीन-तीन बच्चे हुये। मनोवैज्ञानिक इसको इनेट इन्टैलीजैन्स जन्मजात प्रतिभा के नाम से पुकारते हैं। उनका कहना है कि इस परीक्षा में भी वे ही बालक आये जो अपनी माता-पिता से पहली सन्तान कहलाये।
रोबर्ट क्लाइव बड़ा प्रतिभाशाली व्यापारी था, यद्यपि वह अपने आप में इतना प्रसिद्ध नहीं था पर दूसरों को बड़ा बना देने की उसमें अद्वितीय प्रतिभा थी। इसके अतिरिक्त एक ऐसी प्रतिभाशाली महिला जिसके नीचे बहिनें थीं पर यह सबसे पहली लड़की होने के कारण बड़े अदम्य उत्साह और निर्भीकता की प्रतीक रही। इसने महिलाओं के अधिकारों के लिये एक संगठन बनाया। जिसका नाम सफराजेट्स था और यह महिला बहुत प्रसिद्धि हुई जिसको “इम्मेलाइन पक्खुरस्ट” कहते हैं।
इसके अतिरिक्त माओत्सेतुंग अपने परिवार में सबसे पहली सन्तान थे जो बहुत बड़े दार्शनिक, दूरदर्शी और अच्छे शासक सिद्ध हुये, तथा इसके अतिरिक्त सर फैड्रिक लाकर के निर्माण कर्ता और मालिक थे, केवल 10 वर्ष की उम्र में एक रेडियो का निर्माण किया और मात्र 12 वर्ष की उम्र में एक कार को बनाकर खड़ा कर दिया था। इस प्रकार बर्ट्रेड रसैल एक बहुत बड़े दार्शनिक, गणितज्ञ और प्रतिभाशाली पुरुष हुये। मनोविज्ञान के क्षेत्र में सिगमण्ड फ्रायड बीसवीं शताब्दी के बहुत बड़े मनोवैज्ञानिक हुये तथा माइकेल फाराडे बिजली का आविष्कारक था ये सभी प्रतिभाशाली पुरुष-प्रथम जन्म लेने वाले थे। इससे सिद्ध होता है कि माता-पिता की प्रथम सन्तान वातावरण और पैतृक गुणों के अनुसार श्रेष्ठ बनती है।