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Akhand Jyoti
Year 1985
Version2
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October 1985
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तर्क की सार्थकता तब बढ़ती है जब उसमें श्रद्धा का समन्वय हो।
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Page Titles
सच्ची और झूठी प्रार्थना
अर्जुन का असमंजस
आत्मिक प्रगति का राजमार्ग
बिलकुल संकोच नही (Kahani)
अपने को परिष्कृत करें और सिद्धियों के भण्डार बनें
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सुख दुःख का कारण दृष्टिकोण (Kahani)
पत्थर और फुल (Kahani)
प्रतिभा- जागरुकता और तत्परता की परिणति
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स्वर्ग या नर्क में से किसी एक का चुनाव
कष्टकारक दुष्परिणाम (Kahani)
सर पर पाप क्यों (Kahani)
निष्काम कर्मयोग एवं मुक्ति
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सशक्तता शक्तियों के सदुपयोग पर अवलम्बित
ब्रह्मचर्य का लाभ (Kahani)
व्रतशीलता बनाम हठवादिता
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मानवी सत्ता हर दृष्टि से अनुपम, अद्भुत एवं आश्चर्यजनक
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ज्ञान की महिमा कम नहीं (Kahani)
अहंकार का उन्माद (Kahani)
तर्क एवं श्रद्धा का समन्वित रूप- धर्म
प्रेम ही परमेश्वर है।
कर्मफल का सुनियोजित व्यवस्था क्रम
मनोनिग्रह और आत्मिक उत्कर्ष
श्रम से चमत्कार (Kahani)
मनुष्य की विलक्षण सत्ता
चेतना ने पदार्थ बनाया
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सुख का कारण ज्ञान है (Kahani)
ब्रह्मांड के हृदय की धड़कन
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विज्ञान के लिए भारी शोध कार्य करने को पड़ा है।
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मानवीय गरिमा को प्रभावित करने वाले गुण (Kahani)
यौन परिवर्तन की विचित्र घटनाएँ
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प्रतिभा का उपयोग शालीनता के लिए
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शक्तियों के दो ध्रुव केन्द्र
अहन्ता को छोड़ो (Kahani)
जाकों राखे सांइयाँ, मार सके ना कोय
मुफ्त के धन में अनेक दुर्गुण (Kahani)
मानवी सत्ता चिरपुरातन है।
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बाल-बुद्धि के लिए क्षमा माँगी (Kahani)
भारतीय परम्परा और संगीत उपचार
शिवाजी को अमोघ तलवार मिली (Kahani)
प्रथम सन्तान
शिखा सूत्र- हिन्दू संस्कृति के प्रतीक चिन्ह
महायुद्ध की तैयारियाँ समय रहते रुक जाँय
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VigyapanSuchana
सद्गुण पर निर्भर शासन की सुख शांति (Kahani)
अपनों से अपनी बात- गुरुदेव का श्रावणी संदेश
VigyapanSuchana
जीवन-ज्योति-प्रदाता (Kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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