जैन पुराणों में तपस्वी बाहुबलि के चरित्र का वर्णन है। उनने कठोर तपस्या की थी पर अहन्ता नहीं छूटी तो साधना से भी उन्हें शान्ति न मिली। महत्वाकाँक्षाओं का उन्माद उन पर तब भी चढ़ा रहता था।
उदास बाहुबलि को उनकी बहन ने देखा तो असफलता का कारण ताड़ लिया। उसने आते ही “हाथी की पालकी से नीचे उतरो और समझदारों की तरह जमीन पर चलो।
कथन का मर्म बहिन ने समझाया कि ‘‘अहन्ता को छोड़ो आकाँक्षाओं से छुटकारा पाओ इसके बिना सफलता मिल नहीं सकेगी।”
बाहुबलि ने वैसा ही किया और देखते ही देखते सिद्ध पुरुष हो गये।