जाकों राखे सांइयाँ, मार सके ना कोय

October 1985

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‘दि रूट्स आफ कोइन्सीडैन्स’ में कोस्लर ने स्पष्ट लिखा है- ‘‘हम निःसन्देह ऐसे चमत्कारों से घिरे हैं जिनके अस्तित्व की अब हम उपेक्षा करते रहे। फलतः इसे अन्धविश्वास से अधिक कुछ माना नहीं गया, इसलिए मनुष्य ने सदियों तक यह नहीं समझा कि वह सूक्ष्म शक्तियों से घिरा है।” आगे उन्होंने कहा कि- ‘‘यह निश्चित है कि हम एक ऐसे मानसिक चुम्बकीय क्षेत्र में वास करते हैं, जो संयोग जैसी घटनाओं को प्रेरित करता है।”

न्यूजीलैण्ड के कुक जलडमरु मध्य में दो महिला नाविकों की जान एक मृत ह्वेल मछली ने बचाई। नाव समुद्री चक्रवात में फंसकर डूब गयी। नाविक महिलायें थीं। वे कुछ दूर तक तैरीं उसी बीच उन्हें एक ह्वेल मछली की लाश पानी में तैरती हुई मिल गई। वे उस पर चढ़ गयीं। और नाव की तरह उसी को खेती हुई, किनारे पर आ लगीं।

फैलमाउथ (मेन) से प्राप्त समाचार के अनुसार 62 वर्षीय एडविन रोविन्सन के नेत्रों की ज्योति 9 वर्ष पूर्व तक सड़क दुर्घटना में विदा हो गयी थी। उनके डाक्टर विलियम टेलर ने जाँच पड़ताल के बाद बताया कि पिछले सप्ताह में रोविन्सन तड़क-दमक वाली वर्षा तूफान में फंस गये थे। एक पेड़ के नीचे शरण पाने के लिए उन्होंने अपनी एल्युमीनियम की छड़ी का प्रयोग किया। आकाशीय विद्युत की गर्जन से धक्का खाकर रोविन्सन जमीन पर गिरे- खरोचें आईं- किन्तु जब वे उठे तो पाया कि वे बिन किसी यन्त्र की सहायता से सुन सकते हैं और वे पुनः अपनी आँखों से पूर्ववत् देखने लगे।

मेरी गैलेन्ट प्रान्त के फ्राँसीसी गवर्नर की तीन वर्षीय पुत्री एक समुद्री यात्रा पर गयी। रास्ते में बीमार पड़ी और मर गयी। उसकी लाश बोरों में जल संस्कार के लिए सीं ली गयी। कुछ समय उपरान्त देखा गया कि जहाज की पालतू बिल्ली लाश के पास चक्कर काटती है। आमतौर से बिल्लियां लाश से दूर रहती हैं। सन्देह हुआ कि बच्ची जीवित तो नहीं है। बोरा खोला गया तो लड़की में हल्की-सी साँस चलती मिली। उसका उपचार चला और ठीक हो गयी। बड़ी होने पर उसका विवाह फ्राँस के राजा लुई चौदहवें के साथ हुआ और वह 84 वर्ष की आयु तक जीवित रहीं।

सन् 1825 में पश्चिम जर्मनी के समुद्र तट पर पालने में बैठे हुए दो बच्चे पाये गये। भयानक समुद्री बाढ़ आई थी। असंख्यों घर परिवार उसमें डूब गये। किसी माता ने इन बच्चों को तैरने की सुविधा सोचकर पालने से बाँध दिया होगा। वे डूबे नहीं किनारे पर आ लगे। उन्हें एक समुद्री जहाज के मालिक ने उठाया और पाल लिया। बड़े होकर वे पालने वाले के उत्तराधिकारी बने और जहाजों के मालिक कहलाये। जिन्दगी उनने समुद्र में ही बिताई अन्ततः किसी समुद्री तूफान में फँस कर जहाज समेत समुद्र के गर्भ में ही समा गये।

न्यूयार्क की एक वयोवृद्ध महिला कैथोलिन मैक्सोइन का उदाहरण ऐसा है जिसके जीवन में आकस्मिक विपत्तियों और अप्रत्याशित सुरक्षा संयोगों का ऐसा विचित्र ताना-बाना है कि आश्चर्य से चकित रह जाना पड़ता है।

कैथोलिन सात वर्ष की थी तब सह स्कूल के बच्चों के साथ स्टीमर के द्वारा हडसन नदी में सैर करने गयी थी। स्टीमर में आग लग जाने से सभी बच्चे जल गये। जब कि कैथोलिन एक लकड़ी के तख्ते को सीने में लगाकर नदी में कूद पड़ी। लहरों में काफी देर तक झूला झूलते रहने के बाद किसी दूसरी नाव ने देखा तो बचा लिया।

1954 में हवाई जहाज से यात्रा से यात्रा कर रही थी कि उसमें आग लग जाने से पायलट के बहुत प्रयास के बाद भी सभी यात्री जल गये। केवल कैथोलिन झुलसी हुई जीवित बची जो कुछ दिन बाद ठीक हो गई।

सन् 1956 में वह बस से यात्रा कर रही थी। बस का टायर फटा वह लुढ़की और खड्ड में जा गिरी। आग लग जाने से बस के सभी यात्री जलकर खाक हो गये। केवल कैथोलिन वहाँ भी शीशा तोड़कर बाहर निकल सकी।

सन् 1961 में वह इंजन से सटे हुए डिब्बे में बैठी यात्रा कर रही थी। सामने से आती दूसरी रेल से टक्कर हो जाने के कारण इस रेल का इंजन चकनाचूर हो गया। कैथोलिन के डिब्बे में इस बार भी केवल वही बची शेष सब मृत्यु के ग्रास बन गये।

1962 में वह छुट्टी बिताने की दृष्टि से जोरजिया गयी वहाँ जिस कमरे में वह रहती थी उस पर एक दिन पहाड़ की चट्टान ऊपर से गिरी तो उसमें ठहरे तीन अन्य यात्री मर गये। संयोग कि कैथोलिन उसी समय कमरे से बाहर चली गई थी।

यही नहीं टैक्सी से यात्रा करते समय एक अन्य मोटर से टक्कर हो जाने के कारण टैक्सी का ड्राइवर मर गया अन्य सभी यात्री घायल हो गये। परन्तु कैथोलिन इस बार भी पूर्ण सुरक्षित थी।

सन् 1967 में एक दावत में मछलियाँ परोसी गईं, जिसमें कैथोलिन भी निमंत्रित थी। जहरीली मछलियाँ खाने के कारण अस्पताल में सभी की मृत्यु हो गई भरपेट खाने के बाद भी कैथोलिन पर विष का कोई प्रभाव न था।

‘इनकेडिबल कोइन्सीडेंस’ में ऐलनवान ने एक घटना का उल्लेख किया है। प्रिंस एडवर्ड द्वीप के निवासी कोगलान की टैक्साज स्थित गालवैस्टन नामक स्थान पर 1899 में एक यात्रा के दौरान मृत्यु हुयी। उसे वहाँ के मकबरे में शीशे की परतों से मढ़े ताबूत में दफना दिया गया। एक वर्ष भी नहीं हुआ था कि सितम्बर 1900 में गालवैस्टन द्वीप में भीषण तूफान आया। तूफान के कारण कोगलान का ताबूत मकबरे से निकलकर बहता-बहता मैक्सिको की खाड़ी में जा पहुँचा। वहाँ से वह ताबूत फ्लोरिडा का चक्कर काटकर अटलाँटिक महासागर में आ गया। फिर पानी का प्रवाह ताबूत को उत्तर की दिशा में ले गया। आठ वर्ष बाद अक्टूबर 1908 में प्रिंस एडवर्ड द्वीप के मछुओं ने तूफानी लहरों के बीच बड़े डिब्बे को तैरते देखा। उत्सुकता वश जब वे उसे किनारे लाये तब कोगलान का नाम अंकित देख तुरन्त पहचान गये। यह समुद्री किनारा कोगलान के गाँव से कुछ ही दूर पड़ता था। कोगलान के शव को उचित सम्मान के साथ उस गिरजे के कब्र स्थान में पुनः दफना दिया गया।


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