फरारी के दिनों में चन्द्रशेखर आजाद को खाने-पीने के मामले में भी बड़ा कष्ट सहना पड़ा था। एक बार उनके पास केवल एक आना था। उससे उन्होंने एक चने वाले से चने खरीदे।
वे चने खा रहे थे कि उन्हें चनों में एक इकन्नी पड़ी मिली। पहले तो उन्होंने सोचा चलो एक दिन के खाने का इन्तजाम हुआ, पर फिर ध्यान आया कि यह तो उस गरीब चने वाले की इकन्नी है। भूल से गिर गई तो क्या? उसने कितने श्रम से कमाई है। इस पर मेरा क्या अधिकार? और वे उसे इकन्नी लौटा आये। देश के लिए डाँका तक डालने वाले इस क्रान्तिकारी का यह आदर्श कितना ऊँचा था।