चाणक्य की संकल्प शक्ति अद्भुत थी। बचपन में किसी ज्योतिषी ने उनके बड़े दाँत देखकर कह दिया- यह बड़ा होकर राजा बनेगा और युद्धों में लिप्त रहेगा। माँ अपने बच्चे को जीवन भर पास देखना चाहती थी। सो इकलौते बच्चे के बिछुड़ जाने की कल्पना करके रोने लगी।
माता के रोने का कारण प्रतीत हुआ तो उनने एक पत्थर लेकर अपने बढ़े हुए दाँत तोड़ डाले और कहा- इन दाँतों पर ही मेरा भविष्य निर्भर है तो मैंने इन्हें तत्काल तोड़ दिया। भविष्य तो मुझे बनाना है। दाँत यदि आड़े आते हैं तो उन्हें तोड़ देना ही ठीक था। माता उनके इस दुस्साहस को देखकर दंग रह गई।