हाथी सरोवर में पानी पीने आया। मेंढक ने उसे लात दिखाते हुए कहा-मूर्ख दूसरे के राज्य में प्रवेश करता है, लात खायेगा क्या? हाथी हँस भर दिया और बिना कुछ कहे सुने-हँसाता मुस्कराता वापस लौट गया।
दो विचारशील सरोवर तट पर बैठे, वह दृश्य देख रहे थे। एक ने दूसरे से पूछा-क्षुद्र मेंढक का इतना अहंकार? दूसरे ने कहा-इसमें आश्चर्य ही क्या है? सर्वत्र छुद्रता पर ही अहंकार छाया दीखता है।