सौभाग्यों और दुर्भाग्यों की अविज्ञात शृंखला

December 1983

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सौभाग्य की तरह दुर्भाग्य का भी अपना अस्तित्व है। व्यक्ति अपने बुद्धि कौशल और पराक्रम से अनेकों सम्पदाएँ-सफलताएँ प्राप्त करता है इसमें सन्देह नहीं। किन्तु यह भी सच है कि कितनों ही को अनायास ही उतना कुछ मिल जाता है। जिसकी उनकी योग्यता तत्परता से कहीं अधिक ही कहा जा सकता है। स्वल्प प्रयास से अधिक बढ़ी-चढ़ी सफलताओं की तरह अनेकों के सम्मुख ऐसा दुर्भाग्य प्रकट होते भी देखा गया है जिसमें सही प्रयास करने पर भी असफलता का मुँह देखना पड़ा। इसी प्रकार ऐसा भी होता रहता है कि किन्हीं को अकारण संकट में फंसना और त्रास सहना पड़ा। ऐसे प्रसंगों को दुर्भाग्य कहा जाता है।

दुर्भाग्य जैसी दुर्घटनाओं का कारण अविज्ञात है। पूर्व जन्मों का संचित कर्मफल, ग्रह दशा, दैवी प्रकोप, भाग्य विधान कहकर इन प्रसंगों का निमित्त कारण समझने का प्रयत्न किया जाता है। फिर भी इतने भर से सन्तोष नहीं होता। अभी उन वास्तविक कारणों का जानना शेष है जो सौभाग्य और दुर्भाग्य की तरह प्रकट होते और अप्रत्याशित परिणतियां प्रस्तुत करते हैं।

इस संदर्भ में रहस्य तब और भी अधिक जटिल हो जाते हैं जब दुर्भाग्यों को कई व्यक्तियों के साथ एक ही घटना क्रम के साथ जुड़ते हुए देखा जाता है। अथवा एक ही समय में एक जैसी घटनाएँ घटित होती देखी जाती है। संयोग भी तो आखिर किसी-किसी नियम के अंतर्गत ही होने चाहिए। यहाँ अकस्मात् या अपवाद जैसा घटित होने की भी तो इस सुनियोजित सृष्टि में कोई गुंजाइश नहीं है।

मनुष्यों के साथ कई बार कई प्रकार की घटनाएँ एक ही क्रम में घटित होती देखी जाती हैं। इन दुर्भाग्यों के पीछे क्या तारतम्य है इसका कारण विदित न होने पर भी इतना अवश्य है कि सृष्टि के कुछ नियम ऐसे हैं जो इस प्रकार के संयोग बिठाने के लिए आधारभूत कारण है। भले ही हम उन्हें समझ न पायें हों। चेतना के अदृश्य क्षेत्र का अनुसंधान क्रम जब चलेगा तब प्रतीत होगा कि सौभाग्यों और दुर्भाग्यों का सूत्र संचालन किस केन्द्र से होता है। उसका स्वरूप और स्थान और विधान समझ सकने पर हमें सौभाग्य से लाभान्वित हो सकने और दुर्भाग्य से बच सकने की स्थिति में भी पहुँच सकते हैं।

संसार में विभिन्न अवसरों पर घटित होने वाले योजनाबद्ध दुर्भाग्यों में से कुछ विशेष रूप से विचारणीय है।

प्रथम विश्वयुद्ध के आरम्भ होते ही फ्राँस के इन्टेलिजेन्स विभाग के एक जर्मन जासूस पेटर कार्पिन को देश में प्रवेश करते ही गिरफ्तार कर लिया और उसे गुप्त स्थान में कैदी बनाकर रखवाया। सन् 1917 में छद्मवेश बनाकर फ्राँस की जेल से पेटर भाग निकला। इसके पूर्व उसने एक जाली दस्तावेज बनाकर अपने अधिकारियों को इस आशय का पत्र भेजा जिसमें उसने अपने ऊपर किये जा रहे व्यय को बन्द कर देने और उससे एक वाहन खरीदने के लिए निवेदन किया था। 1919 में रूहर में एक सड़क दुर्घटना में उसी वाहन से एक व्यक्ति कुचल कर मर गया। अब तक यह प्रान्त फ्राँस के अधिकार में था। जाँच-पड़ताल करने पर पाया गया कि यह वही पेटर कार्पिन था जिसने तीन वर्ष पूर्व फ्राँस की सरकार के आँखों में धूल झोंकी थी।

हनी ग्रोव, टेक्सास के हेनरी जीगलैण्ड ने 1883 में अपनी प्रेमिका से संबंध विच्छेद कर लिया। उसके इस व्यवहार से प्रेमिका के भाई ने जीगलैण्ड को मार डालने के इरादे से उस पर प्राणघातक हमला किया। परन्तु

निशाना ठीक नहीं बैठा और गोली उसके चेहरे को स्पर्श करती हुई निकल कर समीप के एक पेड़ में जा धँसी। हमलावर ने समझ लिया कि जीगलैण्ड मारा गया और वह वहाँ से भाग निकला।

सन् 1913 में जीगलैण्ड ने उस पेड़ को काटना चाहा परन्तु स्तम्भ मोटा और मजबूत होने के कारण उसे मुश्किल जान पड़ी। पेड़ काटने के लिए उसने डायनामाइट का इस्तेमाल किया। दुर्भाग्य से पेड़ से धँसी गोली विस्फोट के कारण निकल कर जीगलैण्ड के सिर में जा समाई। जीगलैण्ड वहीं ढेर हो गया।

सन् 1930 में डेट्राइड की सड़कों पर जोसेफ फिगलाक चहलकदमी कर रहे थे कि अचानक एक हृष्ट-पुष्ट मोटा-ताजा लड़का ऊँचाई पर स्थित एक खिड़की से उनके ऊपर आ गिरा। एक वर्ष बाद उसी दिन उसी खिड़की से वही बालक फिर से फिगलाक के ऊपर कूद पड़ा। फिगलाक और वह बालक दोनों अभी जीवित हैं।

क्लौडे वालबोने नामक हत्यारे ने 1872 में फ्राँस के बैरन रोडेमायर डि ताराजोन नामक प्रख्यात व्यक्ति की हत्या कर दी। इससे 21 वर्ष पूर्व इसी नाम के एक अन्य हत्यारे ने बैरन के पिता को मौत के घाट उतार दिया था। इन दोनों हत्यारों में कोई आपसी सम्बन्ध नहीं था।

राजकुमारी मारिया डेलपोजो डेला सिस्टर्ना की शादी इटली के राजकुमार अमेडियो दि ड्यूक डी. एओस्टा के साथ 30 मई 1867 में ट्यूरिन में बड़े धूमधाम के साथ सम्पन्न हुई। विवाहोपरान्त राजकुमार के साथ जुड़ा दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं का क्रम। शादी के कुछ क्षणों बाद ही रानी की साहसिक ने रस्सी के फन्दे से लटक कर खुदकुशी कर ली। राजमहल के द्वारपाल ने अपनी गर्दन काट ली। विवाहोत्सव की शोभायात्रा का मार्गदर्शन कर रहे कर्नल की आतप अघात से मृत्यु हो गई। स्टेशन मास्टर हनीमून ट्रेन के पहिये के नीचे आ जाने से कुचल कर मर गया। राजा का सहयोगी घोड़े की पीठ पर से गिर कर दम तोड़ गया। अधिक से अधिक श्रेष्ठ व्यक्तियों ने अपने आपको गोली मार लिया। यह दम्पत्ति कभी भी सुख चैन से प्रसन्नता की जिन्दगी व्यतीत नहीं कर सका।

मार्सीले फ्राँस के हेनरी ट्रैग्ले की गणना महान द्वन्द्व योद्धाओं में की जाती है। सन् 1861 से 1878 तक उसने पाँच लड़ाइयाँ लड़ी। चार युद्धों में उसने अपने प्रतिद्वन्द्वियों दुश्मनों को मात्र एक-एक गोलियों के अचूक निशाने से ही धराशायी किया था। पांचवें युद्ध में गोलियों के आदान-प्रदान से वह स्वयं मारा गया फिर भी उसका निशाना अचूक रहा और अपने प्रतिद्वन्द्वी की जान लेकर ही रहा।

जोसेफ एनर अपने समय के प्रख्यात चित्रकार थे सन् 1836 में एनर 18 वर्ष की अल्पायु में वियना में रस्सी के फन्दे गले में डालकर आत्महत्या करने जा रहे थे कि अचानक कैपूचियन सन्त उनके सम्मुख प्रकट हो गये। और इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से उनकी रक्षा की चार वर्ष बाद बुडापेस्ट में एनर ने फिर से रस्सी से लटककर मरना चाहा परन्तु इस बार भी सन्त ने अचानक प्रकट होकर फाँसी के फन्दे से त्राण दिलाया। आठ वर्ष व्यतीत होने के उपरान्त क्रान्ति का समर्थन करने और राजनैतिक गतिविधियों में भाग लेने के आरोप में एनर को फाँसी की सजा मिली। कैपुचियन सन्त की प्रेरणा से जोसेफ एनर का प्राण दण्ड स्थगित कर दिया गया।

1886 में 68 वर्ष की आयु में जोसेफ ने एक दिन अपनी ही पिस्तौल से गोली मारकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। उसके अन्तिम दाह संस्कार का पूरा प्रबन्ध उसी प्राण रक्षक सन्त ने किया जिसके नाम तक को एनर नहीं जानता था।

फ्रांस के लूइस पन्द्रहवें के शैशवकाल से ही प्रत्येक महीने की 21वीं तिथि को एक ज्योतिषी उनके घर आता और बालक की सुरक्षा के लिए अभिभावकों को विशेष चेतावनी देकर चला जाता। बार-बार की चेतावनी ने नवयुवक लूइस को आतंकित कर दिया। परिणामस्वरूप उस तारीख को लूइस किसी कार्य विशेष को या व्यापारिक मामले को हाथ में न लेता।

संयोग से 21 जून 1791 को अत्यन्त सावधानी बरतने पर भी वह बड़े ही रहस्यमय ढंग से पकड़ लिया गया। लूइस और उसकी रानी अन्टोइनेटी को वारेन्नेस में उस समय गिरफ्तार किया गया जब वे क्रान्ति से निकलकर भागने की तैयारी में थे। दूसरे वर्ष 21 सितम्बर को फ्रांस में क्रान्तिकारियों ने राजशाही को समाप्त कर गणतन्त्र की घोषणा कर दी। 21 जनवरी 1793 को लूइस पंद्रहवें को फांसी दे दी गई।

कभी-कभी कुछ वस्तुएँ किसी कारण ऐसी अभिशाप ग्रस्त होती पाई गई हैं कि उनके प्रयोग करने वाले अकारण ही विपत्ति में फँसते और संकट झेलते देखे गये हैं।

लीडेन, मेसाचूसेट निवासी जावेज स्पाइसर को शेयस के विद्रोह के समय 25 जनवरी 1778 को स्प्रिंगफील्ड में उस समय दो गोलियाँ आकर लगी। जब वह एक संघीय शस्त्रागार में कार्यरत था और वह वहीं ढेर हो गया। उस समय वह अपने भाई डैनिमल का कोट पहने हुए था जिसे तीन वर्ष पूर्व 5 मार्च 1784 को उसी संघीय शस्त्रागार पर दो गोलियाँ आकर लगी थी। यह गोलियां उसी छिद्र से होकर निकली थी जिससे स्पाइसर का भाई डेनियल मारा गया था।

फ्रांस के राजा लूइस चौदहवें के पास डच वैज्ञानिक क्रिश्चियन हायजेन्स द्वारा प्रदत्त एक अलंकृत घड़ी थी। 1 सितम्बर 1715 को प्रातःकालीन बेला में 7.45 पर अचानक राजा की मृत्यु हो गई। तब से आज तक उस घड़ी में 7.45 ही बजे हैं। उस घड़ी को सुधारने के अनेकों प्रयत्न किये गये परन्तु एक भी प्रयास सफल नहीं हुआ। सुइयाँ यथावत 7.45 पर ही टिकी हुई हैं।

नोयल न्यूट ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘हिस्ट्री डि टोक्यो’ में एक अभिशप्त प्राणघातक’ वस्त्र किमोनो का वर्णन किया है। इस वस्त्र को एक के बाद दूसरी ओर तीसरी किशोरियों ने धारण किया और पहनने के बाद ही मृत्यु को प्राप्त हो गई। इस दुर्भाग्यशाली किमोनो को फरवरी 1657 में एक जापानी पादरी ने आग लगा दी। उसी वक्त भयानक आँधी आई और भयंकर लपटें उठने लगीं और नियन्त्रण से बाहर हो गईं। बढ़ती हुई आग ने टोक्यो के तीन-चौथाई भाग को भस्मीभूत बना दिया, जिसमें 300 मन्दिर, 500 महल, 9000 दुकानें, 61 पुल ध्वस्त हो गये और एक लाख व्यक्तियों की जानें गई।

जान माइकेल और रोबर्ट ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “फेनामिनाः ए बुक ऑफ वर्न्डस” में एक दुर्घटना का वर्णन करते हुए लिखा है कि 1975 में एक व्यक्ति मोपेड पर सवार बरमूडा की सड़क से गुजर रहा था कि अचानक उसकी भिड़ंत एक टैक्सी से हो गई और वह वहीं ढेर हो गया। इस घटना के ठीक एक वर्ष बाद उसी दिन उसका छोटा भाई बरमूडा की उसी सड़क पर अपने की उसी मोपेड पर बैठा जा रहा था कि सामने से आती हुई टैक्सी से दुर्घटनाग्रस्त होकर वहीं मर गया। यह वही टैक्सी थी जिसने उसके भाई की जान ली थी और संयोग से वही व्यक्ति उस टैक्सी ड्राइवर के साथ गाड़ी में बैठा था जो एक साल पहले बड़े भाई की दुर्घटना के समय टैक्सी पर सवार था।


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