उल्लू ने सपना देखा (kahani)

December 1983

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उल्लू ने सपना देखा कि वह स्वर्ग लोक में पहुँच कर नन्दन वन के कल्पवृक्ष पर घोंसला बनाकर रहने लगा है।

आँखें खुली तो उस स्वप्न लोक को हाथों से निकलते देखकर बहुत दुःख हुआ तो भी हिम्मत न हारी और जहाँ भी वह मिले जा पहुँचने के लिए आँखें मूँदकर उड़ चला।

सारस ने इस बेसब्री की उड़ान का कारण पूछा-जाना तो वह भी साथ हो लिया। जिस जिसने इसे जाना वे सभी पक्षी उस अन्धी दौड़ में शामिल हो गये। एक बड़ा पक्षी समुदाय किसी अज्ञात दिशा के स्वप्न लोक में प्रवेश करने के लिए उड़ानें भरने चल पड़ा। बूढ़े गिद्ध ने आश्चर्य पूर्वक पूछा-आप सब लोग बिना आधार के क्यों दौड़े जा रहे हैं? कहाँ के लिए प्रयाण कर रहे हैं? स्थान और आधार से अपरिचित पक्षी ठिठके। गिद्ध ने कहा दुःस्वप्नों के पीछे दौड़ने की आदत मनुष्यों के लिए छोड़ दें। हम पक्षी लोग तथ्य को जानें और मात्र वह करें जिसकी सम्भावना है।


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