एक सीप कराह रही थी उसके पेट में मोती था। प्रसव पीड़ा उसे कष्ट दे रही थी।
कराह का कारण जानने के बाद सीप की सहेली ने सन्तोष की साँस ली और अपने भाग्य को सराहते हुए कहा-“मैं मजे में हूँ मुझे पीड़ा का झंझट नहीं सहना पड़ा।”
एक बुड्ढा केकड़ा कुछ दूर बैठा-बैठा यह सब देख सुन रहा था-उसने गरदन उठाकर देखा और कहा-आज की पीड़ा से एक को सुन्दर मोती की जन्मदात्री बनना है और दूसरी का चैन उसे सदा दरिद्र बनाये रहने वाला है। ये क्यों नहीं जानती कि पीड़ा ही कष्ट और चैन ही सुख नहीं है।