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May 1970

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मूढैः प्रकल्पितं दैवं तत्परास्ते क्षयं गताः।

प्राज्ञास्तु पौरुषार्थेन पदमुत्तमंताँ गताः ॥

-योग वसिष्ठ 2।8।16,

दैव (भाग्य) की कल्पना मूढ़ लोग ही करते हैं और दैव पर आश्रित होकर वे अपना नाश कर लेते हैं। बुद्धिमान लोग तो पुरुषार्थ द्वारा ही उत्कृष्ट पद को प्राप्त करते हैं।


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