बार-बार रंग बदलने की अपनी पटुता का प्रदर्शन करते हुए गिरगिट ने कछुये से कहा- महाशय! देखा मैं संसार का कितना योग्य व्यक्ति हूँ? कछुये ने धीरे से कहा- “महाशय! दूसरों को धोखा देने की इस योग्यता से तो तुम अयोग्य बने रहते तो अच्छा था कम से कम लोग भ्रम में तो न पड़ते।”