असुर्या नाम ते लोका अन्धेन तमसावृताः।
ताँस्ते प्रेत्यापि गच्छान्ति ये के चात्महनो जनाः॥
-यजु. 40।3,
आत्मत्व या आत्मचेतना की विस्मृति-रूप आत्महत्या (अर्थात् जीवन में आत्म-विश्वास की भावना का अभाव ) न केवल व्यक्तियों के लिए, किन्तु जातियों और राष्ट्रों के लिए भी, किसी भी प्रकार की प्रेरणा से विहीन अज्ञान के अन्धकार में गिराकर सर्वनाश का हेतु होती है।