सच बोलने के लिये भी दो व्यक्तियों की आवश्यकता होती है- बोलने वाले और सुनने वाले की।
समाज-सुधार और धर्म-प्रतिष्ठा के यह महत्वपूर्ण कर्म कलाप कल्कि भगवान् पूर्ण करेंगे, वही यह युग-निर्माण मिशन कर रहा है। यह ईश्वरीय प्रेरणा ही है, जो उसे समझकर जितना सहयोग देगा, वह अवतार की उतनी ही समीपता और आशीर्वाद का अधिकारी होगा। कल्कि पुराण में इसी तथ्य का प्रतिपादन अलंकारिक किन्तु प्रखरता पूर्वक भली प्रकार देखा जा सकता है।