भारत द्वारा नव युग नेतृत्व की भविष्यवाणी

May 1970

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चमत्कार प्रदर्शन से आपकी अरुचि हो गई है और आप यह मानते हैं कि अतीन्द्रिय शक्तियों एवं सिद्धियों का उपयोग विश्व कल्याण के लिये है तो आप इतना तो बता ही सकते हैं- कि संसार में भीषण रूप से पनप रही भौतिक वृत्तियों में भी क्या कभी परिवर्तन आयेगा? क्या यह राजनैतिक चालें कभी बन्द होंगी, क्या निशस्त्रीकरण भी सम्भव है? क्या सारा संसार कभी एक सूत्र में फैल जायेगा और यह सब परिवर्तन क्या अभी कुछ दिन में ही होने वाले हैं?

यह प्रश्न हालैण्ड के एक वरिष्ठ राजनीतिज्ञ ने वहाँ के ख्याति प्राप्त भविष्य दृष्टा गेरार्ड क्राइसे से पूछा। भारतवर्ष में तो भविष्य कथन पर विश्वास एक सामान्य बात है पर हालैण्ड शायद संसार का पहला देश है जहाँ पर थानों, कचहरियों, संसद तथा अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिये भी मान्य भविष्य दृष्टाओं की मदद ली जाती है। अतीन्द्रिय क्षमता हमारे देश में उच्च स्तरीय आध्यात्मिक साधनाओं के अभ्यास और तपश्चर्या से कोई भी प्राप्त कर सकता है ऐसा विधान दुनिया के किसी और देश में नहीं किन्तु ईश्वरीय देन के रूप में ऐसी आत्मायें सर्वत्र जन्म लेती रहती हैं जिनके भविष्य कथन बहुत अंशों में सच निकलते रहते हैं। इस शताब्दी में हालैण्ड में ही नहीं सम्भवतः सारे योरोप में गेरार्ड क्राइसे सबसे अधिक प्रभावशाली भविष्य दृष्टा हुआ है उसकी बताई हुई बातें असत्य निकली हों ऐसा बहुत ही कम हुआ है। गेरार्ड क्राइसे हालैण्ड में एक यहूदी परिवार से सम्बन्ध रखते हैं।

एक बार अमरीका से एक प्रोफेसर ने फोन पर क्राइसे से पूछा- मेरी पुत्री एकाएक कहीं खो गई है, आप जानते हैं बच्चे तो माँ-बाप की आँखों के तारे होते हैं, उसके बिना मेरा मन बहुत बेचैन है, पढ़ाई का हर्जा भी हो रहा है क्या आप उसका कुछ अता-पता बता सकेंगे?

“कई बार मन अस्त-व्यस्त, उलझन और परेशानी में होता है तब सामान्य बातों के निष्कर्ष निकाल पाना ही कठिन हो जाता है यह तो ऐसी बात है जिसमें अपनी भावनाओं को एकाग्र करके अन्तःकरण में प्रवेश करना पड़ता है तब कहीं सूक्ष्म स्पन्दन आत्मा की पकड़ में आते हैं इस समय मैं कुछ उधेड़-बुन में हूँ आपको कल इसी समय उत्तर दूँगा” यह कहकर क्राइसे ने टेलीफोन रख दिया।

अगले दिन ठीक उसी समय प्रोफेसर, जो हालैण्ड से 5000 मील की दूरी पर अमेरिका में बैठे थे, टेलीफोन की घण्टी बजी, रिसीवर कान से लगाया तो पता चला क्राइसे बोल रहे हैं उन्होंने बताया- आपकी लड़की अस्पताल में थी वहाँ से वह नहर के किनारे आई, नहर अस्पताल के पास ही होनी चाहिए। नाव में बैठकर वह दूसरे किनारे पर पहुँची। वहाँ एक बड़े कद की लाल कार खड़ी मिली। आपकी लड़की उसी में सवार होकर कहीं चली गई है। आप चिन्ता न करें आपकी बेटी सकुशल है छठवें दिन अपने आप आ जायेगी।

6 दिन बीत गये तब तक उसका कोई पता न चला। प्रोफेसर साहब फोन के कमरे में गये, सोचा क्राइसे को फोन करके पूछें पर जैसे ही चोंगा हाथ में लेकर सिर ऊपर उठाया देखते हैं कि लड़की सामने सोफे पर बैठी है। उन्होंने लड़की से पूछा वह कैसे गायब हुई। लड़की ने जो कुछ बताया वह क्राइसे के कथन से शत प्रतिशत मिलता जुलता पाकर प्रोफेसर आश्चर्य में रह गये कि ऐसा भी संसार में क्या रहस्य है जो मनुष्य बिना किसी यन्त्र के भी सर्वदर्शी और सर्वव्यापी बन सकता है। उन्हें भारतीय दर्शन का ज्ञान होता तो सम्भवतः कुछ सोचते कि वह शक्ति तो आत्म-चेतना के रूप में मनुष्य में अपने आप समाई है। हमें शरीर के रूप में परमात्मा ने एक ऐसा सर्वांग पूर्ण यन्त्र प्रदान किया है जिसका सही उपयोग किया जा सके तो भविष्य दर्शन, दूर और अपरोक्ष दर्शन तो साधारण बातें हैं मनुष्य ब्रह्म ही हो सकता है।

क्राइसे इस बात का प्रमाण है। अपने जीवन में उसने सैकड़ों लोगों को सैकड़ों बातें बताई और वे नितान्त सच निकलीं। एक बार किसी सज्जन का एक लड़का खो गया। वह बच्चे का फोटो लेकर क्राइसे के पास गये। क्राइसे ने फोटो देखते ही कहा- ‘बच्चे के आगे पीछे ऊपर नीचे सब ओर जल ही जल दिखाई दे रहा है- बच्चा पानी में डूब गया लगता है। दूसरे दिन यह बात तब सच निकली जब पास ही एक नदी के पुल से थोड़ी दूर पर लड़के का शव पानी में बहता हुआ मिला।

एक बार एक स्त्री क्राइसे से पूछ बैठी आप मेरे जीवन की कोई इतनी पुरानी घटना बताइये जब आप भी बच्चे रहे हों। इस पर क्राइसे ने बताया एक बार तुम अपनी सहेलियों के साथ खेत घूमने जा रही थीं। तुम कँटीले तारों से सटी चल रही थीं, तुम्हारी एक मित्र ने तुम्हें धक्का दे दिया और तुम तारों में जा गिरीं एक तार तुम्हारे पेडू में घुस गया उसके घाव का निशान अभी तक तुम्हारे पेडू में है।”

महिला ने स्वीकार किया कि सचमुच यह घटना 27 वर्ष से पूर्व तब की है जब वह स्वयं भी एक 12 वर्षीय बालिका ही थी। इससे भी महत्वपूर्ण घटना क्राइसे के जीवन में 13 सितम्बर 1960 को घटी जब एक पादरी क्राइसे से भेंट करने आये। पादरी ने भी एक खोये हुए लड़के के बारे में ही पूछा था उसमें नवीनता जैसी कोई बात नहीं थी पर क्राइसे बताने लगे कि- यह लड़का, इस जंगल में एक साइकिल पर सवार तेजी से जा रहा है और इतना कहकर वे एकाएक चुप से हो गये। वे किसी गम्भीर विचार में डूब गये लगते थे- इस पर पादरी ने पूछा- आप चुप क्यों हो गये? कुछ और बताइये?

क्राइसे ने एक ठण्डी साँस ली और बोले- अब बताने को कुछ रहा नहीं। एक लम्बा तगड़ा व्यक्ति उसका पीछा कर रहा है, उसके बाल बिलकुल काले हैं थोड़ी दूर जाकर वह इस लड़के की हत्या करके उसे वहीं दफना देता है। उस दफनाये हुये स्थान की पूरी-पूरी जानकारी क्राइसे ने दी। उसके बाद लोग वहाँ गये तो पाया कि ठीक उसी समय उसकी हत्या करके उसी स्थान पर उसे दफना दिया गया। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट और क्राइसे की रिपोर्ट में कोई अन्तर नहीं था।

परामनोविज्ञान के शोधकर्ता डॉ. तनहैफ जो इन दिनों इस तरह की अतीन्द्रिय क्षमताओं के कारणों की शोध कर रहे हैं एक बार क्राइसे को एक ऐसे स्थान पर ले गये जहाँ दूसरे दिन सभा आयोजित होने वाली थी। मंच तैयार हो गया था, दर्शकों के लिये कुर्सियाँ डाल दी गई डॉ. तनहैफ एक कुर्सी के पास जाकर खड़े हो गये और पूछा क्या आप बता सकते हैं इस कुर्सी पर कल बैठने वाला कौन व्यक्ति होगा?

इस पर क्राइसे ने बताया-इसमें एक महिला बैठेगी फिर उस स्त्री से सम्बन्धित अनेकों बातें क्राइसे ने बतलाई वह सब की सब टेप-रिकार्ड कर ली गई। संयोग कि दूसरे दिन उस सीट पर एक महिला ही बैठी और आश्चर्य कि उसके सम्बन्ध में जितनी बातें बताई गई थी, महिला से पूछने पर उसने यह स्वीकार किया कि वह सारी बातें सच हैं? डॉ. तनहैफ इस घटना से बहुत प्रभावित हुये। दरअसल क्राइसे की विश्व ख्याति का माध्यम भी डॉ. तनहैफ ही हैं।

अब तो क्राइसे अनेक महत्वपूर्ण जटिल राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षणिक समस्यायें भी सुलझाने में मदद देते हैं। यहाँ तक कि पुरातत्व विभाग वाले भी उनकी पूरी मदद ले रहे हैं। जोहान्सबर्ग विश्व-विद्यालय के भूगर्भ शास्त्री डॉ. वालकौफ यूट्रेच को दक्षिणी अफ्रीका की कैनीबाल नामक गुफा से एक हड्डी का टुकड़ा मिला था। टुकड़ा बहुत पुराना लगता था पर किसी भी सूत्र से उस सम्बन्ध में यह निर्णय नहीं हो पा रहा था कि यह किस युग से सम्बन्ध रखता है। डॉ. तनहैफ की सिफारिश पर उन्होंने भी क्राइसे की मदद ली। क्राइसे ने वह हड्डी का टुकड़ा छूकर एक ऐसे युग की और दक्षिण अफ्रीका के एक कबाइली संगठन की बातें बताई जिनमें बलि प्रथा प्रचलित थी। यह टुकड़ा भी नर बलि का ही था। उन्होंने जिस जाति का नाम बताया पुरातत्व गवेषणा के अनुसार वह कथन बिलकुल सच थे।

जहाँ क्राइसे ने ऐसी अनेक सफलतायें प्राप्त कीं वहाँ उन्हें अनुभव हुआ कि इस तरह चाहे जिसे भूत भविष्य की बातें बता देने से उनका महत्व तो बढ़ता है पर उनकी यह अतीन्द्रिय क्षमता कम होने लगी है, उन्हें एक घटना का विवरण दे चुकने के बाद भारी असन्तोष होता है इन सबका कारण क्या है सम्भवतः यह उन्हें ठीक समझ में न आया हो पर वे मानते हैं कि अतीन्द्रिय ज्ञान का उपयोग केवल लोक कल्याण के लिये ही होना चाहिये स्वार्थ सिद्धि के लिये नहीं।’

इस सम्बन्ध में उक्त राजनीतिज्ञ के प्रश्न करने पर क्राइसे ने बताया कि- मैं देख रहा हूँ कि पूर्व के एक अति प्राचीन देश(भारत) जहाँ साधु और सर्पों की पूजा होती है वहाँ के लोग माँस नहीं खाते, ईश्वर भक्त और श्रद्धालु होते हैं उनकी स्त्रियाँ पतिव्रता और कभी भी पतियों को तलाक न देने वाली होती हैं वहाँ के लोग सीधे सच्चे और ईमानदार होते हैं- से एक प्रकाश उठता आ रहा है, वहाँ किसी ऐसे महापुरुष का जन्म हुआ है जो सारे विश्व के कल्याण की योजनायें बनायेगा इस बीच संसार में भारी उथल-पुथल होगी, भयंकर युद्ध होंगे जिसमें कुछ देशों का तो अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा, वायु दुर्घटनायें इतनी अधिक होंगी कि लोग हवाई जहाजों पर बहुत सीमित संख्या में चला करेंगे। उस व्यक्ति के पीछे सैकड़ों लोग, जिनमें स्त्रियाँ बहुत अधिक संख्या में होंगी, चल रहे होंगे। वह सब लोग एक स्थान के न होकर सारे देश से इकठ्ठा होंगे और आग जलाकर (यज्ञ) उसमें कोई सुगन्धित वस्तुयें डालकर खुश होंगे उसके धुयें से वायुमंडल शुद्ध होगा तमाम संसार के लोग उधर देखेंगे और उसकी बातें मानेंगे। सब राजनैतिक नेता एक मंच पर इकट्ठे होने को विवश होंगे। इन बातों का प्रमाण इसी शताब्दी के अन्त तक मिलने लगेगा और फिर सारा संसार एक सूत्र में बँधता चला जायेगा उसमें सर्वत्र अमन-चैन होगी। कोई हिंसा न होगी, दमन झूठ फरेब के लिए कोई स्थान न रहेगा। दुष्ट दुराचारियों और नारियों पर कुदृष्टि डालने वालों को सबसे अधिक दण्ड मिलेगा। लोग दूध अधिक पिया करेंगे, फूल पौधों की संख्या बढ़ेगी और संसार बड़ा सुन्दर लगने लगेगा।


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