तुम जो चाहो वही अपने को बना सकते हो। श्रेष्ठ या नीच, पवित्र या पापी, चतुर या मूर्ख, अपने आपको बनाने वाले तुम स्वयं ही हो। अपनी जीवन-रेखा को स्वयं ही लिखते हो।
-डॉ. एनी. बिसेन्ट