कलना सर्वजन्तूनाँ विज्ञानेन शमेन च।
प्रबुद्वा ब्रह्मनामेति भ्रमतीरथा जगत॥
ज्ञान और शम के द्वारा ही प्राणी ब्रह्म स्वरूप पिता को प्राप्त हो जाता है। इनके अभाव में वह इस संसार में भटकता रहता है।