मृत्यु और जीवन

May 1970

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प्रातःकाल की पवन लहरायी आई और गुलाब को स्पर्श कर चली गई। पत्ते ने हँसते गुलाब को देखा तो आग-बबूला हो गया। बोला-यह भी कोई जीवन है, माली आता है और असमय में ही तुम्हारी जीवन लीला समाप्त कर देता है। इतने अल्प जीवन में भी क्या आनन्द? मैं रोज देखता हूँ कितने ही फूल खिलते हैं और मुरझा जाते हैं।

गुलाब ने बड़े शान्त स्वर में उत्तर दिया-भाई! जीवन का अर्थ है सच्ची सुगन्ध। इस प्रकार चारों ओर सुगन्धि को फैलाते हुए आमन्त्रित मृत्यु ही जीवन और अमरता है।


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