दिन भर आपको धूप दी

May 1970

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दिन भर आपको धूप दी, आपके पुत्र-पौत्रों को प्रकाश और गर्मी प्रदान की और आप हैं कि मुझे थोड़ी ही देर में विदा कर रहे हैं, कुछ अधिक देर ठहरने देते तो आपका क्या बिगड़ जाता? ढलते हुये सूरज ने मुस्कराते हुए क्षितिज के पास लिखित उलाहना भेजा।

गम्भीर क्षितिज स्याही लेकर उत्तर लिखने बैठा तो कुल एक पंक्ति से वह आगे नहीं बढ़ सके, प्रातः के प्रकाश में सूर्य ने उसे पढ़ा-लिखा था- “इसलिये कि तुम हर बार एक नई चमक, नई रोशनी लेकर आओ और पहले से भी अधिक प्रकाश फैलाओ।“

सूर्य का सिर श्रद्धा से नीचे झुक गया।


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