निष्फल बलिदान नहीं होता (kavita)

May 1970

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

साथी जब तक आघातों का आदान-प्रदान नहीं होता।

भय का अवसान नहीं होता॥

स्वागत-सुमनावलियाँ न जहाँ झरती जलते आह्वानों पर,

इतिहास विभोर नहीं होता पग-पग चलते गतिवानों पर,

धुल-धुल कर शूल जहाँ होते परिणत फूलों की टोली में,

वरदान अगर जीवन पाते तप-तप शापों की होली में,

साधों के विजय स्तम्भ वहाँ उन्मुक्त स्वरों में कहते हैं-

शोषित से सींचा जाये तो निष्फल बलिदान नहीं होता।

आसन अमंगल की छाया छू सके न जिसके अन्तःपट,

हो जाते जिस दृष्टि-तुला में तुलकर एक महल मरघट;

चर्वण करता हो लोह-चणक चलता जीवन पर्यन्त अथक;

संकेत-शृंखला में बाँधे प्रलयकार के प्रज्ज्वलित पलक;

स्वर्णिम इतिहासों के जलते उद्धरण जहाँ मुखरित होते-

उन वह्नि विभूषित पृष्ठों का युग-युग मुख म्लान नहीं होता।

आशीष परिधियों में पलते शीशों का गतिमय उन्नति क्रम;

रसधार बहाया करते हैं उन पर असि-धारों के उद्गम;

उत्सर्ग-स्फूर्तियाँ भरती हैं नव कम्प दधीची हाडों में;

सीता है कोई भीष्म-व्रती अर्जुन के तीखे बाणों में;

तब सत्य सनातन की रेखा नभ में बन व्यास उभरती है;

उस स्वर्णिम रेखा का जग में कोई उपमान नहीं होता।

बुझ चुके दीप की स्मृतियों को आँसू से व्यर्थ भिगोना है;

वन-रोदन की आसक्ति सखे! ऊसर में खेती बोना है;

नव दीप रचो, तब ज्योति भरो अपने अन्तर की ज्वाला में;

संस्कृति के सपने मुक्त करो घिरती आती तम-माला से;

युग दर्पण में परिवर्तन के पावन प्रतिबिम्ब निखर पुलकें;

ध्रुव सत्य उसी परिवर्तन का मैला परिधान नहीं होता।

-झलकन लाल वर्मा ‘छैल’

*समाप्त*


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118