घोंसले में बैठे नन्हें से परिन्दे ने पर फड़फड़ाये और सहम कर जहाँ था, चिपककर बैठ गया। बच्चे को भयभीत देख माँ ने उसे घोंसले से धकेलते हुए कहा-”जब तक तू भय नहीं छोड़ेगा उड़ना कहाँ से आयेगा।” दूसरे क्षण परिन्दा हवा में उड़ रहा था।
यदि आप अपने को आत्मनिषेधी अथवा आत्म-संशयी के वर्ग में पाते हैं तो तुरन्त ठहर जाइये और सम्पूर्ण शक्ति लगाकर अपनी विचार-धारा को मोड़ देने का प्रयत्न करिये। आत्मा में परमात्मा का विश्वास करिये। अपने मन और मस्तिष्क को शुभ संकेत और संकल्प दीजिये अपनी दिव्य पैतृकता का वास्ता लीजिये। परमपिता का स्मरण करिये और साहसपूर्वक श्रेय-पथ पर बढ़ चलिये आत्मा आपका साथ देगी, परमात्मा आपकी सहायता करेगा।