सफलता पानी हो तो श्रमसीकर बहाएँ

August 1988

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सफलता के मणि मुक्तक धूल में बिखरे नहीं पड़े हैं। उन्हें पाना है तो गहरे उतरने की हिम्मत जुटाओ। कठोर परिश्रम के लिए शपथ लो। कठोर दम तोड़ और टपकते स्वेद वाला परिश्रम ही जीवन का सबसे महान पुरस्कार है। इसी के परिणाम स्वरूप सफलताओं और विभूतियों को पाया जा सकता है।

सुअवसरों की प्रतीक्षा में न बैठे रहो उद्यम के लिए हर घड़ी शुभ मुहूर्त है और हर पल सुअवसर। सस्ती सफलता के फेर में पड़े रहने से कुछ लाभ नहीं। चिरस्थायी प्रगति के लिए राजमार्ग पर अनवरत परिश्रम और अपराजेय साहस साथ लेकर चलना पड़ता है। पगडण्डियाँ ढूँढ़ना बेकार है। वे भटका सकती हैं। जिनने भी कुछ कहने लायक सफलता पाई है उन्हें गहराई तक खोदने और उतरने के लिए कटिबद्ध होना पड़ा है। विजय-श्री का वरण करने के लिए कमर कसना, आस्तीन चढ़ाना और गहराई तक खुदाई करना आवश्यक है पर ध्यान यह भी रखना चाहिए कि कहीं कुदाली से अपने पैर ही न कट जांय।

परिस्थितियों, साधन-क्षमता का समन्वय करना समझदारी है। पर सफलता केवल समझदारी पर ही तो निर्भर नहीं हैं, उसका मूल्य माथे से टपकने वाले श्रमसीकरों से ही चुकाना पड़ता है।


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