उत्तर देते न बन पड़ा (Kahani)

August 1988

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एक सन्त खेल बरामदे में गहरी नींद सो रहे थे। पुजारी उधर से घूमता हुआ आया, देखा कि एक व्यक्ति मन्दिर की ओर पैर करके सोया हुआ है।

उसने उसे झकझोर कर उठाया और कहा - भगवान के घर की ओर पैर करके सो रहा है। दूसरी तरफ पैर कर।

मुसाफिर हड़बड़ाकर उठ बैठा। उसने झकझोरने वाले से कहा - “कृपया इतना कष्ट और कीजिए कि पैरों को उस तरफ घुमा दीजिए जिस ओर भगवान का घर न हो।”

पुजारी से कुछ उत्तर देते न बन पड़ा।


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