क्रिया कलापों का विस्तारः केन्द्र के समाचार

August 1988

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नूतन प्रेरणा व दिशाएं लेकर गए श्री रामानन्द सागर

पिछले दिनों शान्तिकुँज -गायत्री तीर्थ में पूज्य गुरुदेव के दर्शन तथा उनसे मार्गदर्शन प्रेरणा लेने सुप्रसिद्ध टेलीविजन धारावाहिक “रामायण” के निर्माता-निर्देशक श्री रामानन्द सागर एवं उनके पुत्र सुभाष सागर आएं ज्ञातव्य है कि श्री रामकथा पर आधारित विगत डेढ़ वर्षों से दूरदर्शन पर दिखाया जा रहा रामायण सीरियल अत्यन्त लोकप्रिय हुआ एवं इसे न केवल हिंदू जनता वरन् देश के बहुसंख्य अन्यान्य धर्मावलम्बियों ने भी देखा सराहा। 31 जुलाई का प्रस्तुत धारावाहिक की अंतिम कड़ी प्रस्तारित होनी थी। भारतीय संस्कृति के उन्नयन को संकल्पित श्री सागर ने पूज्यवर से भाव विभोर होकर कहा कि उन्हें इसके निर्माण हेतु सूक्ष्म प्रेरणा कहाँ से मिल रही थी, इसका आभास तो होता था, पर प्रत्यक्ष मिलन, साक्षात्कार अब हुआ है। गुरुदेव के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्होंने भावी क्रिया पद्धति संबंधी मार्ग-दर्शन लेना चाहा। गुरुदेव ने उन्हें देवात्मा हिमालय, श्री कृष्ण चरित्र, श्री हनुमत्वरित्र पर भावी धारावाहिक बनाने हेतु प्रेरणा दीं व तत्संबंधी प्रत्यक्ष दिशा निर्देश देने का भी आश्वासन दिया। श्री रामानंद एवं सुभाष सागर पुनः अगस्त माह के अंत शाँतिकुँज इसी उद्देश्य विशेष के लिए आ रहे हैं।

शोध-श्रृंखला में जुड़ी नई विद्याएँ

ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान में नूतन विस्तार−क्रम में अब ध्यान, प्राणायाम एवं वाष्पीकृत स्थिति में वनौषधियों के प्रभाव विश्लेषण हेतु अत्याधुनिक उपकरणों को लगाया जा चुका हैं। अल्फार ई.ई.जी. आयोफीड बैंक, ई.एम.जीत्र बायोफीडबैक व जी. एस.आर. बायोफीड बैंक यंत्र खरीद लिये गये हैं व इनमें माध्यम से साधकों को तनाव शैथिल्प का अभ्यास कराया जा सकता है। वर्णा के ध्यान के माध्यम से क्या परिवर्तन शरीर की विभिन्न क्रिया प्रणालियों में आता है व कैसे ध्यान को ओर प्रभावशाली बनाया जा सकता है यह अनेक माध्यम से सीखा व समझ जा सकता है। मेडस्पायर नामक यंत्र भी यहाँ इन्हीं दिनों लगाया गया है जो फेफड़ा की श्वास खींचकर अशुद्ध वायु का निकाल बाहर फेंकने की क्षमता का विश्लेषण कर अंदर विनिर्मित (बिल्ट इन) कंप्यूटरों द्वारा ग्राफ व प्रिंट आउट के माध्यम से यह बता देता है कि अग्निहोत्र, वनौषधि सेवन अथवा प्राणायाम आदि कि पूर्व क्या स्थिति थी व बाद में कितना परिवर्तन आया। गैसलिक्विड, क्रोमेटोग्राफ यंत्र द्वारा नवनोषधि विश्लेषण कार्य आरंभ कर दिया गया है। विप्रो पी.सी. एक्स टी कंप्यूटर की मददो विगत आठ वर्षों की आंकड़ों का विश्लेषण कर यह जानकारी ली जा रही है कि साधना आिर उपचार वनौषधि चिकित्सा से साधकों की क्रिया प्रणाली में क्या-क्या परिवर्तन आया। अब साधकों को चिकित्सा परामर्श उसी के द्वारा दिया जाएगा।

स्वास्थ्य संरक्षण यंत्रों हेतु व्यापक स्तर पर तैयारी

इन दिनों शान्तिकुँज में बड़े पैमाने पर फेर बदल हो रहा है। समग्र स्वास्थ्य संवर्धन के शिक्षण हेतु पूरे जड़ी-बूटी उन में उलट पुलट की गयी है। सभी महत्वपूर्ण वनौषधियों गुण-कर्म के वर्णन सहित लगाई गयी है तथा उनकी पहचान आरोपण, पौधशाला बनाने का शिक्षण देने की तैयारी पूरी हो चुकी है। स्काउटिंग, फर्स्ट एड, रोगी परिचर्या, आहार विज्ञान रोगों के कारण निवारण संबंधी विभिन्न चार्ट गचा कैसे जाय व किस प्रकार रोग निवारण की सेवा साधना का आश्रय लेकर जन-जन तब पहुँचा जाय, इसका शिक्षण जिन स्लाइडों व वीडियो फिल्मों द्वारा किया जाएगा, वे बन कर तैयार है। यह अंक पाठकों के हाथों में पहुँचने तक सह अभिनव सत्र आरंभ हो चुके होंगे।

नारी जागरण अभियान चरमावस्था को पहुँचा

नारी जागरण हेतु नूतन “नारी अभ्युदय सत्र. आरंभ हो चुके है। शुभारंभ गायत्री जयंती से हो चुका है। शांतिकुंज परिवार की महिलाओं से ही शिक्षण प्रक्रिया का श्री गणेश हुआ है। उन्हें संगीत, संभाषण, दीपयज्ञ, कर्मकाण्ड, स्वावलम्बन हेतु लघु उद्योग तथा स्वास्थ्य संरक्षण का शिक्षण दिया जा रहा है। बाहर कार्य क्षेत्र में दो सौ से अधिक “नारी जागरण मंडलों” की स्थापना व पंजीयन हो चुका है व यह प्रक्रिया द्रुतगति से चल रही है।


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