सृष्टि का व्यवस्था क्रम आदान-प्रदान के सिद्धान्त पर चल रहा है। जो बिना दिये पाने की इच्छा संजोते हैं, वे आसमान में महल बनाने वाले अबोध बालक की तरह हैं।