असुरों को परास्त किया (Kahani)

August 1988

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वृत्रासुर का पराक्रम असाधारण था। उसने देवताओं का परास्त करके इन्द्रासन पर अधिकार कर लिया।

वृत्रासुर को हरा सकने जैसा कोई अस्त्र देवताओं के पास नहीं था। मुसीबत की घड़ी में नारद जी से भेंट हुई उनसे संकट निवारण का उपाय पूछा गया।

नारद जी ने बताया कि महर्षि दधिची की अस्थियों में इतना प्रचंड तप बल है कि वे किसी प्रकार मिल जाय और उनका वज्र बन सके तो उससे असुरों का परास्त किया जा सकता है।

देवता दधिची के पास पहुँचे। अपनी व्यथा और इच्छा बताईं उदारमना दधीचि ने इतना बड़ा त्याग करना भी सहज स्वीकार कर लिया और अपनी अस्थियाँ देवताओं को दान में दे दी।

वज्र बना और असुरों को परास्त किया गया।


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